SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एसटिमो संधि दुर्मर्ष भी निकल आये 1 दुरितानन दुर्गम्य और असा, चन्द्रमा सूर्य मऊर और कुरूर ग्रह भी निकल आये । हाथियोंकी सूड़ों. को कुचलनेसे भयंकर, सुत सारण सुन्द और निसुन्व भी गये । शिष शम्मु स्वयंमु और विसुम्भ भी। पिछ आसण पिंजर और पिंग भी। कटुकालके समान भर्यकर, तमालके समान श्याम, यम घण्ट आग और यमदण्डके समान भी। यमनादसे उत्पन्न निनादको भी मात देनेवाले हल हाल हलायुध और हुली। मयरंक शशांक मियंक रवि फणी पन्नग णकाय शक और हविने कूच किया। सिंहके समान नितम्बोचाले अर्गलाके समान विशाल बाहु, वार गम्भीर नादवाले और महाबली, ऐसे वे वीर तैयार होकर निकल पड़े। उनके रथों में सिंह जुते हुए थे और बजों पर भी सिंह अंकित थे ।। १-१० ॥ [७] धुंधुधाम, धूम्र, धूम्रान, धूम्रवेगा, डिण्डिम, डमर, डिण्डिरथ, चण्डि, चण्डवेग, डविथ, डिस्थ, हुम्बर, यमाक्ष, डाइडम्बर, शिखण्डी, पिण्डि, पण्डय, वितण्डि, तुण्ड, मण्डव, प्रचण्ड, कुण्ड, मण्डल, कपोलकर्ण, कुण्डल, भयाल, भोल, भुम्भल, विशालचक्षु, फोइल, कृतान्त, दल, ढपडर, कपालचूर्ण, सेखर, चकोर, चारुचारण, शैलिन्ध्र, गंधवारण, प्रियार्क, णिक्क, सीड्य, निरीह, विद्यजिवा, सुमालि, मृत्युभीषण, दुरन्त, दुर्दशन आदि राजा भी निकल पड़े । वनोदर, विकटोदर, घंधल, अशनिनिर्घोष, हूल , छालाहल आदि राजा भी तैयार हो गये। इनके रथों में बाघ जुते हुए थे और उनकी ध्वजाओंमें भी बाघ अंकित थे ॥१-१०॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy