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पउमचरि
चाहरुरह ? सुसुपर-पयस् । गज्जन्त-सप्त-भागङ्ग-मगरु ||५|| विगाह फरोह- कच्छु ॥ ॥ ॥ सिय-चमर-दखायाषकि समूहु ॥७॥ रोल पसइ अथाहु" " ॥८॥
करवा-पहर-परिहल-मच्छु | इम्मयल-सिलायल-विसम-हु
तेल भामण्डल- अपबाहु |
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धत्ता
वुच्चाइ गल-गीर्केहिँ दूसम-सी हिँ 'अय गम्पिशु एम भ । "अरे हत्य-पहत्यों पहर-हस्वद्द जिह क्यों लिह थाडु रण" ||९||
[ ५ ]
निम-वहरु सरेषि जसाहिएन । सन्देस दिष्णु विशहिरण || १ || मणु " रावण जिह पहूँ कि भज्छ । चन्दोयरु मा बि लड्ड रज्छ ||२॥ वायर प्रेम जं पुज्वणी । वायरणु जेम स-विसज्जनोड ॥३॥ कायर प्रेम आगम-गिद्दाशु | वायर जेम एस थाणु ॥४॥ पाथरशु प्रेम अम्वहन्तु । श्रायश्णु जेम गुण-विद्धि देन्तु ||५|| वायरण जेम विग्गह- समाशु | वायर प्रेम सन्धिमाणु ॥ ६॥ वायर जेम अवय-शिवाउ । वायरण प्रेम किरिया - सहाउ ||७||