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________________ उनसठवीं सन्धि निशाचरराज रावणकी युद्धको तयारी, विभिन्न योद्धाओंकी तैयारी, उनकी पत्नियों को प्रतिक्रिया, योद्धाओं और उनकी पत्तियों के संवाद, दूसरे वीर सामन्तों का युद्ध के लिए प्रस्थान । युद्धके प्रांगण में दोनों सेनाओंका जमाव । साठवीं सन्धि ५०-६३ राम द्वारा युद्ध के लिए कूच । रामपक्षके सभी योद्धाओंका परिषय । उनकी तैयारीका चित्रण, रावण पक्ष के पोळाओंके नाम । सैन्यब्यूह रचना । सेनाका प्रस्थान । फई मल्लयुद्ध हो रहे थे। युद्धका थीगणेश । युद्धको लेकर दो देवदालाओंकी हार्दिक प्रतिक्रिया । इकसठयी सन्धि सनिक अभियानका वर्णन । दोनों सेनाओंमें भिडन्त, आपसी द्वन्द्र और वीरतापूर्वक युद्ध लड़ना । रामको सेनाकी प्रथम पराजय, देवबालाओं द्वारा टोका-टिप्पणी, नल और नील एवं हस्त-प्रहस्तमें इन्द्र युद्ध, दूसरे प्रमुख नेताओंमें इन्द्र युद्ध, हस्त-प्रहस्तको मृत्यु । बासठवीं सन्धि राम द्वारा विजेता नल और नोलका स्वागत, युद्ध भूमिमें रावणके लिए अपशकुन, रावणका गुप्तवेशमें नगरमें भ्रमण, प्रमुख पोताओं को अपनी पत्नियोंसे बात-चीत । योदामोंकी स्वामिभक्ति देखकर रावणको प्रसन्नता और उत्साह ।
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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