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________________ २५८ पउमपरित के वि चन्दकन्स-कन्तेहिं जाय। मुह-यन्दही उप्परिणाएँ आप ॥८॥ के कि पउमराय-कर-णियर-सम्ब। पं अहिणवण-लीलावलम्ब ।।। के वि मालेक्सिम अरहो त?। केवि सीहहुँ के वि एण्णयहुँ गट्ट॥१०॥ মম্বা णिगय तहाँ घरहों पुणु वि पद्धवा तेहि जि वारे हि । उभय-महीहरहाँ रबि-यर प्याई अणेयागार हिं ॥११॥ ते दहमुह-धरु मुएंवि विसाल। गय परिमोसे सन्ति-जिणारउ ॥१॥ तहि पाइसन्ते हि दिछ सणेउर । समण केरड इटम्तैउरु ||२| चिहुरेहिं सिहण्डि-ओलम्बु भाइ। कुरले हिँ इन्दिन्दिर विन्दु गाई ॥३॥ भउहे हि अणण-घणुहर-लय स्व। णयपहिणीलुपल-काणणं व ॥४॥ मुह-विम् हि मयलक्रण-कलं व । कल-वाणिहिं कल-कोहल-कुर्स व ॥५॥ कोमल-वाह हि लयाहरं व पाणिहि स्तुप्पल-सरवर व ॥६॥ णक्रयहि काइ-सूई-धसंव। सिहि हि सुखपण-वड-मण्डल व ॥७॥ सोहग्गे बरमह-साहणं ध। रोमावलि-गाइणि-परियणे व ॥८॥ शिवलिहि अणा-पुरि-खाइयं व । गुडझेहि मयण-मजश-हरं च ।।१।। ऊरूहि तरुण-केली-वर्ण व । चलणग्गे हि पल्लव-काणणं ॥१०॥ इंस-उलु व गह (ए) हिं चाच-दलु व गुणे हि घत्ता कुश्मा-जुहू व वर-सोलाहिं । छण-ससि-चिम्खु-व सयक-कलाहिं ॥११॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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