SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 256
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पडमचरित गाव-फल-परिपकाणणे काणण: कुसुमिएँ साहारएँ साहारएँ ॥३॥ रिद्धि-गपहें कोकणयहें कणयहें। इंसम्मंसि कुचला. कु-बमएँ ॥४॥ महुअरें महु-मजन्तएँ जम्तएँ। कोविक कुल बासम्सएँ सन्त ।।५।। कीर-चन्हें उदन्त उन्तएँ। मलयागिलें आवन्स वन्तएँ ॥६॥ मभरि पण्डिसल्लाघरे लावएँ। जहिं ण वि तिन्ति रयहाँ तित्तिरयहाँ ।। गाउ प णानइ कि सुऐं किसुएँ। जहिं असेण गयणाहों णाहहीं ।६॥ तणु परितप्पाइ सीपहें सीयहाँ ॥९|| यप्ता अच्छउ कि सामपणे कण वि अपणे जहिं अमुत्तम रह करइ । त जण-[मण-मज्जावणु सडन-सुहावणु को महु-मासु ण सम्मर ॥१०॥ [२] कथइ अङ्गारव-समासः । रेहद तस्बिरु फुल्लु पलास ॥ णं दावाणल भाउ गवसः। को मई दादु ण दद्ध पएसउ |॥२॥ कत्थषि मारुधियएँ णिय मन्दिरु। एन्सु णिचारिड सं इन्धिन्दिक ॥३॥ 'भोसर श्रोसर सुहँ अपवित्त । अपणएँ णव-पुफ्फवाइप छित्तज' flen करथइ चूअ-कुसुम-मञ्जरियड। गाई बसन्स-घायड भरिया ॥५॥ कत्थइ पवण-हपई पुषणायई। णं जर्गे उच्छलियाँ पुण्णायहूँ ।।६।। कस्था अहिणवाई भमर-उल है। धियई वसन्त-सिरिद गं कुरलई ॥७॥ फणसइँ भवुह-मुहा इत्र सङ्कएँ। सिरिहलाई सिरि-हक इव बड्इँ ॥८॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy