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पउमचरिड
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मणे चिन्तेपिणु हिम्मल - भावें । मारुद - णिम्मिय - विज- पहार्वे ॥५॥ सायर-सलिल सय्युः आकरिसिउ । मुसल-पमाणे हिघार हि वरिसिउ ॥२॥ हुअबहु उल्लाविउ पजलन्त । NA - भावेण काल व वडराउ ||३|| तं टवसग्गु हरवि रिड - माणु । गउ मुणिवरहुँ पासु मरु-णन्दणु ॥४॥ कर - कमलेहि पाय पुज्जेप्पिणु । बन्दिय गुरु गुरु - भत्ति करेपिणु ॥५॥ मुणि - पुन हि समुचाए वि कर । हणुवहाँ दिण्णासीस सुहार ॥६॥ तहि अवसरे विमउ साहप्पिणु । मेरुहें पास हि भामरि देष्पिशु ॥७॥ तिणि वि कपणार सालझारउ । हिपष-रम्म गम्भ - सुकुमार ॥८॥
घत्ता
भद्द - सुभा] वलण समन्तिड हणुयहाँ साहुकारु करम्तिउ । अगएँ थियउ सहन्ति सु-सीलड णं तिहुँ कालहुँ सिणि विलोलड ॥६॥
[ ] पुणु वि पसंसिउ सो पवागाइ । 'सुहह-लील अण्णहाँ कहाँ छजह ॥१॥ चाड पई वरफुल्ल पगासिड । उपसग्गहों णाउ मि णिण्णासिड ॥२॥ प्रतिउ जइ पत्तु सुहुँ सुन्दर । तो गांव अज्नु भम्ह अविमुणियर ।।३।। तं गिसुवि मारह गओशिउ । दम्स-पन्ति दरिसन्तु पबोनिउ ॥४॥ 'तिण्णि वि दासही सुट्छ विनीयउ। कवणु थाणु कहाँ तिष्णि विधीयउ॥५॥ किं कर्ज षण - वासे पाहउ । केण दि कर उपसागु णिहउ ॥६॥ हणुवाहों केरउ क्यणु सुपिणु । पमणइ चन्दले विहसेमिणु ॥५॥ 'तिणि वि दहिमुह-रायहाँ धीयउ । खुटु छुल अकारण वि वरियड ॥८॥