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पडमचरिङ
पत्ता तहिं पहणे बहु-उपमहें भरियए णं जर्गे सुका कम्य वित्थरियएँ । सहइ स-परियण दहिमुह-राण गं सुरवई सरपुरही पहाणउ ।।२।।
वहाँ अधिगम महिसि सरजमइ । कामही रह सुरवाह सइ ।!
आमन्तएँ जन्तएं विण-णिवहें । उप्पण्णउ कपणउ सिणिण तहँ ।।२।। विशुप्पड़ चन्दलेह वाल । अण्णेक तहा तरङ्गमाल ।।३॥ तिष्णि वि कण्णउ परिवहि यउ । णं सुकाइ-कहउ रस - वढ़ियड 114 बहु-दिवसें हिं सुरय - पियारऍण । पढविड बूर अशारण ण ॥५॥ 'जह भाउ दहि मुह माम महु । तो तिणि बि कण्णत देहि बहु ॥६।। तेण वि विबाहु सङ्गरिछयउ । कल्लाणभुक्ति मुणि पुच्छियउ 116 कहाँ धीय बेमि ण देमि कहो । मुणिवरण वि तस्मों कहिउ तहों ।।।
पत्ता 'वेयालुत्तर - सेटिह रणिड साहसगइ - जामेण पहाणउ । जीविड तासु समर जो लेखइ सिणि विकण्णड सो परिणेसह ॥६॥
गुरु - वयोण हेण अइ भाविउ । मणे गधन्ध - राउ चिन्ताविउ ॥५॥ 'साहसगइ बहु - विजावन्तउ । तेफा समाणु कवणु परहन्सा ॥२॥ अहमइ एउ वि णउ बुझिाइ । गुरु - भासिएँ सन्देहु ण किलाइ ॥३॥ जम्म • सए वि पमाणहों लुकद । मुणिवर वयणु ण पलए वि चुक ॥४|| अबसे कन्दिवसु वि सो होसई 1 साहसगइहें जुज्झु जो देसाई ५|| तं णिसुणेषि लजह - लायपणे हि । णिय - जणेह आजछिड कण हि ॥६॥