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पउमचरित
धत्ता पई विरहिट दुलालुल पुष्णालिई चिस व ऊणउ । ण वि सोहइ सुरगीच-बलु जिह जोधणु धम्म-विहणज' ॥१०॥
[११] गुड बोल णिसुणेवि समीरण-गन्दण ।
स-गउ स-धउ स-तुरन्मुस-भडु स-सन्दणु ॥१॥ स-विमाणु स-साणु पत्रण-सुउ । संघहिंउ पुलय - विसह-मुड || पचास हणुएँ संसजल वल । जं पास मेह-शाल स-जलु ।।३।। गं रिसह - जिणिन्द - समोसरण । णं जाण · समएँ देवागमणु | पं तारा - मण्डलु द्वामिज । णं गहें मापामर णिम्मविउ ॥॥ आणन्द - घोसु हगुवहाँ तण । णिसुणेषि दूरु कोड़ावणउ ॥६॥ पमयदया . साहणे जाय दिहि । घणे गलिए गं परितुद्ध सिहि || गस्वइ सुग्गाउ करेषि धुरै । किंय हह-सोह किकिन्ध-पुरै १८॥ कञ्चण • तोरणई णिवद्धा । परें घर मिहुणई समलखाई ॥३॥ घर घर परिहियई रवण्णाई । लोर परिपाणिय - सणाई ।।१०। लटु गहिय-पसाहण सयस गर । गिय सवडम्मुह अग्ध-कर ॥॥
पत्ता .. अम्बव-पाल-गालमाऍहि इणुबन्तु एस्तु जयकारिउ । गाण-चरितहि दलणे हि सिदा मोबा पासारित ॥१२॥
[१२] पइसरन्तु पुर पेलाइ हिम्मल-तारई।
घर पर जि मणि-काम-तोरण-घारई ॥१॥ चन्दण - पचराई सिरिम्पराई । पेक्खा पुराणाविह - भण्डाई ।।२।।
कम - करिय, - कप्पूरई । अंगक-गन्ध-सिहर • सिम्दाई ॥३॥