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पउमचरिय
कवी-केर जयरु बिसिठ्ठड। वीणट गेरू विबहिंदि
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अष्णु इन्दु-वायरणु गुणि एम णथरु गढ़ विपणन्त
॥ ३० ॥
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भूजावड रायलु पवण-सुअों संपत ॥१२॥
धत्ता
सो परिहारिएँ णम्मयऍ सुग्गीव-दूर ण शिवारि 1
पाइँ महों णम्मएँ पिय-जलपवाहु पसारि ||१३||
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हि तेण दूरहों कि समीरणन्दणो । सिसिर फाल दिवस व णयणान्दणी ॥६॥
सिरिंसह गरेण निहा लियड | णं करि करिणिहि परिमालियउ ||२ || श्रीणविहाथी पाण-पिय ॥ ३ ॥
मेणाकुसुम
एकेत है एक फिडि तिय । वर सुभुन । यस सम्बुकुमारहों खरहों सुअ ||४|| अपकेह अक तिय । वर-कमल- विहत्थी नाइँ सिम ||५|| सा पयराय अभङ्गयहों । सुग्रीवहाँ सुन सस अङ्गयहाँ ॥ ६ ॥ विहिं पाहिं वे विवरण | कुवलय दल दीहर-लोयणउ ॥३॥ रेes सुन्दर भत्थु कि । विहिं सम्माहिँ परिमित दिवसु जिह ||८|| स्थन्तरें गुरुकु श रक्खियर । हणुवन्तों वृष अखि॥६॥ घत्ता
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'खेमु कुसलु कलाणु जउ सुरगीयत्य-वीर हुँ ।
अकुसल मरणु बिणासु खउ खर-दूषण सच्चुकुमारहुँ' ॥१०॥
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कहित सब्बु तं रूक्खण-राम-कहाण उं ।
॥19॥
दण्डया मुणि कोडि-सिला अवसा
तं सुचि अणङ्गकुसुम करिय पङ्कयराचाराय
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भरिय ||२||