________________
४६
पउमचरित
। घत्ता विहि मि राम-रामण चलहुँ , एक वि वडिमउ ण दीसह । सहुँ जय-लरिष विजउ ताहि पर अहि इशुषन्तु मिलेसई ॥१०॥
तं णिसुर्णेवि किकिन्ध - राहिउ रशिक्षो ।
लस्छिमुन्ति हणुवन्तहाँ पासु विसजिओ ॥१॥ 'प? मुएँ वि अण्णु को चुद्धिचन्तु । जिह मिलाइ तेम करि कि पि मन्तु ॥२॥ गुण-वयनु हिं गम्पिणु पवण-पुत्तु । भणु "एस्थु काले रूसेंवि ण तु ॥३॥ खर- सण- सम्बु पसाहियात , अप्पणु दुश्चरिऍहिं मरण पत्र ॥४॥ जउ रामह िणड लक्खणही दोसु । जिह तहाँ तिह सवहाँ होररोसु ।।५।। भणु एसिएण झालेण : काई । चयहिहैं चरिपई विसुबाई ॥६॥ लक्षण- अँगा विरहास । -मा सायि बल" | सं वयणु सुर्णबि प्राणन्दु हूउ । श्रारूक विमाणे तुरन्त दूज ||८|| संचलित पुलय - विस-गसु । णिविसखे लकछीपयर पत्तु ॥।।
पट्टणु पत्रण-सुआहों तणउ थिउ इणुरुह-वी रवण्णउ । महियले केण वि कारण , समग-खानु अवइउ ॥१०॥
[४] लम्भुिति तं लच्छीणयरु पईसा।
बहरन्तु र्ज सुन्दरतं तं दीसाई ॥७॥ देउलवाड पण्णु पहिलाइ । फोप्फलु अण्णु मूलु चेडखाउ ॥२॥ जाइमन करहाड चुम्यउ । चित्तउड कड रवष्णड ३॥ रामउरङ गुलु सरु पठाणड । अइवर भुजा चह - जाणउ ॥४॥ अद्ध-वेस पिउ अन्धुम • केरर । जोवणु कण्णाइड सवियारउ ||५|| घेलर हरिकेलउ - सम्झायउ । वड्डायरउ लोणु विसायउ ॥६॥ वरायरउ बज मणि सिलु । णेवालउ फरथुरिय - परिमलु ॥७॥ मोसिय · हार-णियरु साज | खरु नसरउ तुरट केकाणउ ||८|| बर काविहि सुट्ट पउणारी । वाणि सुहासिणि णगुरवारी ॥६॥