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पचमचरिउ
दीहर-दण्टु पर्वण पदिपेशिउ । णं जस-पुन्ज महण्णवे मेडिउ ॥॥
पत्ता सो राए घउ धुन्चन्तन दाखउ णयण-सुहावणउ । 'लहु एह ए8 इकारह णाई इत्थु सोयह तणउ HER
तेण वि दिइ चिन्धु सुग्गीवहाँ । उप्परि एन्ता कम्बू-दीयहरे ॥१॥ चिन्तइ रयणकसि 'लह बुझि3 । जेण समाणु आसि हउँ अजिमउ ॥२॥ सो तइलोक - चक - संतावणु । मन्छु आउ पडीवर रावष्णु ॥३॥ कहि णासमि कहाँ सरणु पहकमि । एथहाँ हउँ जीवन्तु ण चुकमि' ॥१॥ दुश्वु दुश्खु साहारिउ णिय मणु । 'जइ सयमेव पराइउ रावणु ॥५it तो कि तासु महद्धएं वाणरु । णं पं दीसह किक्किन्धेसर' ॥६॥ तहि अवसर सु-ग्गांउ पराइड । णाई पुरन्दरु सग्गहों आइउ ॥७॥ 'भो भो रयणकेसि किं भुलउ । अन्धहि काइँ पुत्थु एकाउ' ॥८॥
पत्ता
सुग्गीवहाँ क्यणु सुणेपिणु हियवए हरिसुण माइयड । पव-पाडसे सलिले सित्तउ विम्मु जेम अप्पाइयउ ॥३॥
[८] णिय का कहहुँ लामु विजाहरु । अतुल - मा भामण्डल-किresi 'सामिहें जामि जाम ओलग्गएँ । दिछु विमाणु ताम गयणग्गएँ ।।२।१ तहि कन्दम्ति साय आयण्णवि । धाइड रावणु सिण-समु मणवि ॥३॥ हड वच्छश्यले असिवर - घाएँ। गिरि व पलोटिड कब-गिहाएं ॥४॥ दुबाबु दुक्खु चेयणउ लहेपिपणु । पादिङ विजा-छेड करेपिणु II