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पदमपरित
'जयदु-कम्म - दारणा । अण्णा - सड़-वारणा ॥३॥ पसिद्ध - सिख - सामणा । तमोह-मोह - मासणा || कसाय - माय - बधिया । तिलोय-कोष - पुजिया ॥५॥ मपट - दुढ - मदन । तिसमल-बेशि-छिन्दणा' ।।९॥ शुभो एम जाहो । विहई - सणाहो ।।७।। महादेव . देवो । ण तुको म छेओ ॥८॥ ण छेभो ण मूलं । ण सावं ण सूलं पर ण कवास - माला । ण विट्ठी कराला || म. गउदी सहा । चन्दो पा पागा ॥१॥ ण पुत्तो ण कन्ता । ण डाहो ण चिन्ता ॥१२॥ ण कामो ण कोहो । म लोहो ण मोही ॥१३॥ ण माण म माय! | ण सामण्ण - छाया ॥१४॥
घत्ता
पणप्पिणु जिणबर लामिड सुइ-गइ-गामिर पहजारूद्ध गराहिला। 'जह सीयहें वत्त ण-याणमि तुम्ह पराणमि तोबल महु सणास-गह ॥१५॥
पच भणेवि अणिष्ट्रिय - वाहा । कोकाविउ विनाहर - साहणु ॥ १॥ 'जादु गवेसा जहि आसबहाँ । जल-दुग्गई थल - दुग्गई लडहाँ ॥२॥ पइसें वि दी दीड गवेसहो । गय अनय उत्तर - देसहरे ॥३॥ गवय - गवक्स वे वि पुम्बद्धे । णल - कुन्देन्द्र - णील पच्छद्रं ॥४॥ दाक्षिण सुग्गीउ स-साहणु । अण्णु वि जम्बवन्तु हरिसिय-मणु ५|| लिय विमाणारूढ महाइय । णिविसे कम्यू-दोड पराइय ॥६॥ नाव नत्थु विनाहर - केरउ । कम्पइ घलइ बलइ विवरेरउ ||७||