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पउमचरित
सो लक्षण जो राम साहोयरु । सो लक्षणु जो सीयाँ देवरु || सो लक्षणु जो गरवर केसरि । सो लक्षणु जो खर-दूसण-भरि ॥९॥ दसरह-तगड सुमिन्तिह जायङ' । रामें सहु वण-वासहों आयउ ॥१०||
पत्ता अणुणिजन भेन पयलं जाय ग कुम्माणि-मायणा । में पम्य पई पेसेसह मागासुग्गीयहाँ सणण' ॥११॥
[५] तं णिसुणेवि बयणु परिहारहों । हियबउ भिग्णु कहड्य-सारहों ।।१।। "यहु सो लाखणु राम-कणिहर । जासु मासि हउँ सरशु पइउ' ॥२॥ सीसुध गुरु-वयप्पे हि उम्मूढउ । रवइ विणय - गहन्दारूदउ ॥३॥ स-बल्लु स-पिण्डवासु सकलत्तः । चलणेहि पडिल विसन्थुल-गत्तर ।। | पणिउ कलुण कियझलि-हस्थः । 'हउँ पाविदछु धिट्टु अक्रियत्थर |५|| तारा-णयण-सरहिं जजरियउ । सुम्हारत गाउ मि वीसरियड ५६।
अहाँ परमेसर पर उपयारा । ए-वार महु स्वमहि भडारा' ।।७।। ... ..जं पिय-चवाहि विणड पयासि । सरसह लक्खपोपर मासासिंह ।।८।। 'प्रभउ परछ छुद्ध सीय गधेसहि । लहु विभाइर इस-दिसि पेसहि ॥६॥
धत्ता सोमितिह, स्थणु सुप्पिणु सुहड़-सहास हि परियरिउ । णं सायरु समयहाँ चुकर किकिन्वाहिद गांसरिउ ॥१०॥
[५] णराहिओ बिसालयं । पराइओ जिणालयं ॥३॥ धुओ तिलोय-सामिओ । अणन्त-सोक्ख-गामिभो ।।२।।