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पउमचरिउ
णं विसमयणु हिमपय्वइऍ धरणेन्दु णाइँ पडमावइएँ ॥ ५॥ यि विजऍ जं अवमणिय | सहसगइ पयदु जण जाणियड़ ॥ ६ ॥ जं विहडिड सुग्गी वहाँ तप । वलु मिलिउ पडवड अप्पणउ ॥७॥ एकलउ पेक्खचि वहरि घिउ । बल
सर-सन्धाणु
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घसा
खणें खर्गे अणवरय-गुणद्विपदि तिक्खहिं राम-सिलीमुहहिं । विणिनिष्यु कक्ष्सुल र पचहरु जैम बुहहिं ॥२॥
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रिट विसिहि वियारियठ । सुग्गीउ वि पुरे पसारियउ ॥१॥
करन्तु थिउ || २ || जिण-भवणु ॥३॥
जय - मङ्गल - तूर- णिघोलु किउ । सहुँ तारएँ रज्जु
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एस वि रामु परितुह मणु । निविसेण
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किय बन्द सुह गई -गामियों । भावें
किंउ ॥८॥
पराइड चन्द्रष्पह सामिग्रहों ॥४॥ माथ वप्पु तुहुँ वन्धु-जणु ॥५॥ सम्बहुँ परहूँ पराहिप ॥ ६ ॥ चरिले थिउ । तुहुँ सबल-सुरासुरेहिं णमिउ ॥७॥ वापरणें समाएँ झार्णे तुहुँ तव चरणें ॥८॥
तुहुँ ।
तु
'जय तुहुँ गइ तुहुँ मइ तुहुँ सरणु तुहुँ तुहुँ परम-पस्तु परमत्ति हरु । तुहुँ
तुहुँ दंसणं णा सिद्धमम
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घत्ता
अरहन्तु बुद्ध तुहुँ हरि हरु वि तुहुँ अण्णाण तमोह- रिउ ।
तुहुँ हुरिक्षणु परमपद तुहुँ रवि वम्भु सम्भु सिउ' ॥६॥