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परामचरित
घत्ता णिवद्रिय धरै पसु-हार णिसुपिउ भक्खाण जखाइ । . अण्णु मि तं अहिणाणु कु लम्गु देव जं भाइह ॥६॥
[१०] नं प्णिमुर्णं चि वलु इरिसिय-मत्तउ । 'कह हणुवन्त केम सहि पत्तत' ॥१॥ एहा भवसर गयणाणन्दें । हसिउ णियासों थिएन महिन्दं ॥२॥ 'एयहाँ केरउ बहुउ ढङ्गसु । णिसुणे भडारा जं कि साइमु ॥३॥ णा णामेण अन्धि पवणाउ । पहलाययहाँ पुशु र दुजः ॥५।। सासु दिण्ण मई अक्षणसुन्दरि । गउ उखन्धे वरुणहों उपरि ॥५॥ वारह-बरिसाह(है) एक्कार वारएँ । वासउ देवि मिलिउ खन्धारए ॥६॥
पा-जणे गरे ए मजा का लाड लाऍवि ||७॥ मइँ वि ता पइसारु ण दिगणउ । वणे पसविय तहिँ ऐंहु उप्पण्णड || नं जि वइरु सुमरेवि हणुवन्ते । तर आयुसे दूर्ण जने ॥६॥ णयर महारऍ किड कडमट्टणु । हउ मि धरिउ स-कलत्तु स-गन्दणु ॥१०॥
पत्ता भग्गर सुहद-सया गय-जूहहूँ दिसंहि पप्पट । एयहाँ रण-चरियाई पुतिया देव मह दिहाई ॥११॥
[] सं णिसुणेवि ति-कण सहाएं । पुणु पोमाइड दहिमुह-राएं ॥१॥ 'अ'पुणु जइ वि पुरन्दरु आबइ । एयहाँ तणउ परिउ को पावइ ॥२॥ वेणि महारिसि पडिमा-जोएं । अव दिवस थिय णियय-णिओए ॥३॥ अण्णेकना अचासणउ । महु धायउ इमाउ ति-कष्ण ॥॥ ताम हुआसणेग संदीविड । वणु चाउदिसु जालालो विउ ॥५॥ धगधगधगधगन्त • धूमन्तप । छह अड' गरुढ़े पास दुकान्त ॥॥