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पचमचरित
छहदम - दसम - तुवारसेहिं । बहु - पाणाहारहिणीरसेहि १२॥ घउहिँ तिरत्ता - तोरणेहि । पक्खेकचार किय - पारणेहि ॥ मासोवास - चन्दायहि । अपरेहि मि दण्डण - मुण्डणेहिं ॥५॥ बाहिर सयणे हि असावणेहि । तरु - मूल हि घर · वीरासहि ॥६॥ सामाय - माण-म-खञ्चहि । वन्दण - पुजण · देवशहिँ ॥७॥ संजम-तव-णिय में हिं दृसहहिं । घोर हि घावीस • परीसह हि ॥८॥ चारिस-णाण - वय - दसणेहि । अचरेहि मि दण्डण - खण्डणे हि ॥६॥
घत्ता जो जम्म-णाएण सचिट दुख्यि-कम्म-मलु । । सो गलइ असेसु बरण दु-
वर्षे जेम जलु ॥१०॥
[१५] धम्मु अहिंसा दहवयण जाणहि मुहुँ दह-भेउ ।
तो वि ण जाणइ परिहरहि काह मि कारणु एउ |॥१॥ अहाँ जिणवर-कम-कमलिन्विन्दिर । दसधम्माणुवेक्ख सुर्णे दस-सिर ॥२॥ एहिसउ एउ ताम चुभेब्बउ । जीष - दया - घरेण होएल्वड ॥३॥ वीयड महवत दरिसेन्चउ । तझ्यउ उजय : चित करवा ॥१॥ चउथउ पुणु लाहचेंण जिदेम्बर 1 पञ्चमड वि तव-चरणु चरेबउ ॥५॥ छउ संजम - चड़ पालेल्वउ । सत्तमु किम्पि णाहि मागेवर ॥६॥ भटम बम्भचेर स्वस्खेम्बउ । णयमउ सच-वयष्णु बोल्लेब्वा ॥७॥ दसमउ मण परिचाड करण्यउ । मछु इस-भेउ धम्मु जाणेब्वर ॥८॥ धम्म होन्तएण सुहु केवल । धम्में होन्तरण चिन्तिय-फलु ॥६॥
घत्ता
धम्मेण दसास घर परियणु सबडम्मुहट । विणु म तेण सबलु वि थाइ परम्मुहड ॥१०॥