________________
राजद
जल - थल • पायाल - णहङ्गणेहिं । सुर-गरय- तिरय - मणुअसणेहि ॥३॥ पपर - गारि - पुंसय - रूपएहि । विस-मेसें हिं महिस- पसूआएहि ॥ माया - तुरन - विहममेहिं । पञ्चागण - मोर - भुमहिं ।।५।। किमि कांड - पयक्रेन्दिन्दिरहि । विस-बहस- गहन्द (1) मजहि ।।६।। हम्मन्तु हणन्तु मरन्तु जन्तु । कलुण रुभन्तु खज्जन्तु खन्नु ।।७|| गेण्हन्तु मुअन्तु कलेवराई । अगुहवइ जाउ पाकहाँ फलाई ।।। धरिणा वि माय माया वि धर्तिण 1 भइणी वि धाय धीया वि मणि It !! पुत्तो त्रि पु बप्पो वि पुत्त । सत्तो वि मित्त मित्तो वि सत्तु ||10!!
घत्ता एहएँ संसारे रावण सोक्वु कहि तणउ । अरिएजसीय सीलु म खण्डहि अप्पणउ' ॥१॥
[१०] चउदह रज्जुग दहवयण भुवि सोक्ख- सयाई ।
तो इ ण वइय तित्ति तर अप्पहि सीय पण काइँ ॥१॥ अहाँ सुर-समर सहि सवढम्मुह । तइलोकागुवेक्ष सुणि दहमुह ॥२॥ ॐ तं गिरवसेसु आयासु वि 1 तिहुवणु सम्झे परिट्टिउ नासु वि ॥३॥ भाइ णिहणु गाउ केण विधरियउ । अच्छा सयलु वि जीव भरियउ ॥४॥ पहिला वेशासण-अणुमाणे । थियट सत्त-रजुअ-परिमाणे ।।५|| वायउ महरि-रुवामारें । थियउ एक रज्जुब-विस्थाएँ ।६।। तयउ भुवणु मुरव-अणुमाणे । धियउ पत्र-रज्जुअ परिमाणे ।।७।। मोक्नु वि विचरिय-बनाया थियउ एक रज्जुअ-चिथारें इय चउदह-रज्जर हि गिवडर । तिहुअणु तिहिं पक्षणे हिं उहा ॥॥