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[५४. चउवष्णासमो संघि] हणुषन्त · कुमारु पयर - भुअङ्गोमालिया । दहवयणहों पासु मलयगिरि घ संचालिपउ ॥
[ ] णव-गालप्पल-जयण-जुय सोएं णिरु संतस ।
'पवण-पुत्त पई विरहियउ कवणु पराणइ वत्त ॥१॥ सो अक्षण - पत्रणझयह सुउ । अइरावय - कर - सारिन्छ - भुउ ॥२॥ संचालित लपहें सम्मुहउ । णं णियल - णिवदउ मत्त - गड ॥३॥ णिविसद्ध पुरै पहसारियउ । णिय • णासु गाई हकारियउ ||१|| गुस्धन्तर पाण - पोहरिहि । चलगेहिणि - लङ्कासुन्दरिहि ||५|| इर-एरउ जाउ पवेसियउ । हणुवन्नहों वक्त .. गसियउ ॥६॥
आयाउ ताउ ससि - वयणियइ । कुवलय- दल- दोहर- पाणिग्रउ ॥७॥ जाणाविउ रियउ इर- इरें हिं । पगलन्त- अंसु - गग्गर - गिर हिँ ॥८॥ 'सुणु माएँ काई द्वाटण किउ । ज मिसियर - णाहहाँ पाण-पिड ॥६॥ तं गन्नण - वणु संचरियड । किक्कर - साहणु गुसुमूरियउ ॥१०॥ अक्षयहाँ जोड विधंसियउ । घणवाण - बलु संतासियउ ॥११॥ इन्दइण गवर अत्रमाणु किंद । बन्धेवि दहवयणहाँ पासु गिउ' ॥३२
पत्ता तं वयणु मुवि गीलुपपलई व डोरिलयह। मीय जयगाइ विणि मि असु-जलोल्लिया ॥१३॥
[२] जं जसु दिउ अण्ण-भवे जीवहाँ कहि मि थियासु । नासु कि गासवि सकियह कामहों पुल - कियासु ॥१॥