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पउमचरित
अइया लसर कि परमेसर यांसरिउ । अइगहुँ सुरसुन्दर गांम पुरन्दरें . उत्थरिउ ॥२॥ तहगहुँ तेरयस्तर कस-णिरन्तर धवल-धएँ । सिन्दूरुप्परि गिजाहिर मत्तगएँ ॥३॥ संजोत्तिय रहबरें हिंसिय-हयबरें पवर-था। धण-गुण-रकार कालपालनजर कुइय-भा भामेशिलय-परिपर
कविय सरवरें .
गांव-फरें। पडु-पारमा लिए सह-समालि गहिर-सरे ॥५॥ रिव-जय-सिरि लुखए अमरिस कुन्द झुज्म-मरें। सम्बल-हुलि हलहि सत्ति-तिसूल हिं वापरणे ॥६॥ ताहि तेइए साहण इव-गप-पाहण अभिधि। साहेम ववर-करि धरिउ पुरन्दार रहे परवि ॥७॥ तहि इम्बइ घोसित मामु पगासिट सुरवर हिं। विजाहर-अक्साहि गन्धव-सखें हि विष्णरहि ॥८॥ तो एक हणुवं अणु वि मणुबै को गहणु' । राँ चरिड सुरन्तर अप-कारन्तड परम-जिणु ॥
पत्ता हरि धुर देप्पिणु धऍ विजउ जहाँ पेक्वन्तहाँ। जिग्गउ इम्बा - बन्धमारू हणुवन्तहों ॥१०॥
पम्ऍ मोहवाहणो गहिय-पहरणो पिगमो सुरम्तो।
जुभ-सएँ सणिरुचरो भरिय-मथरो अहर-विष्फुरन्सो ॥१॥ सो वि पधाइड रहबरें घडिपड । ण केसरि-किसोरु पिरियड ॥२॥ संचालन्तएँ तोपदवाहण । सूरह इय असेस वि साहणे ॥३॥ सष्णजमम्ति वि रसनीयर । पर • सोगर - पाण-धणुवर-कर ॥शा