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पवमचरित
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भज वि बहु-लक्स जाम न लामाणु भम्भिव ॥७॥ वरि साम दसाणण पवर-वसणण पवर-भुभ। शपिपाउ रामह अण-अहिरामही जणय-सुथ ॥८॥ परयार रमन्तहों कहों वि जियन्तहाँ णाहि सुद्ध। अन्धहि सम छूहउ णिय-मणे मूडा का मुहुँ ॥३॥
पत्ता जाम विहीसणु दहचयणहाँ हिपउ ण भिम्बइ। महि अफालेवि भडु साव समुहिड इन्दजइ ॥१०॥
"भो दणुइन्द-महणा पर विहीसणा काइँ एष बुतं ।
अक्स-कुमार घाइए हणुएँ आइए बिहावित ण झुस १॥ एचर्हि काई मन्तु मन्तिइ । जहें विस किं वरशु रहम्बइ ॥२॥ पित्तिय गासु णामु जइ भीयउ । उत्तर सक्खि समर महु वीयर ॥३॥ एक्कु पहुचा सोपदवाहणु । थमाउ माणुकष्णु पत्राणणु ॥४॥ अच्छड मउ मारिषि सहोमरु | मम्बा अण्णु मि जो जो कायरु ॥५॥ महु पुणु चार अवसरु वइ । यो किर अक्श काले अम्भिाइ ।।३।। जेणाऽसाल-विज किणिवाइम | पशु मगर अण-पाल विघाइप ॥७॥ किार - साधावार पलोहिउ । भखउ माफ जेन पलवष्टि ॥८॥ सोमहु का विकह विभरिभरियड । सीहहाँ हरिण अम में परिषर ॥
दूउ भणेप्पिा समरहाले जइ वि.ण मारमि। तो वि घरेपिणु तुम्हह समन्खु वित्यारमि ॥
[ ] पुणरषि रिउ-णिसुम्म महिमान-सम्म सुषि क्मणु वाय वाप। जण धरेमि सनु र उत्परम् ता हित सम्ब पाय ॥१॥