________________
पउमचरिउ
घत्ता अवगण वि ताइ मि सउण-समाइ मि दुप्परिणामें छायउ । णट्यूल-पईडहाँ साहु व सीहहाँ हणुत्रहों समुदु पधाइयउ ६६०॥
पुस्धन्तरे पभणइ पवर-सारहि । समरङ्गणएँ केण समड पहारहि ॥ जातिमा निर्वाः ।
सवहम्मुहर रइवर कासु वाहमि ॥१॥ तं णिसुणेधि पम्पिउ अखाउ । 'जो गासेस-णिहय-पविवक्त्रउ ॥२॥ सारहि समर सहि जसवन्तहों । रहवर वाहि बाहि हणुवन्तहाँ ॥३॥ रहवर वाहि वाहि जहि रहबर । संचूरिय · सतुरा - सणरवर ॥१॥ रहवा वाहि वाहि जहि कुअर । दलिय-सिरग 'भग्ग-भुव-पार ॥५॥ रहबरु वाहि वाहि जहिं छाएँ । पडियई महिहिं णाई सयवसई ॥६॥ रहवरू वाहि वाहि अहि चिन्धई । अण्णु पणयावियई कवन्नई ॥७॥ रहकरु वाहि वाहि जहिं गिई । परिषमंति वस-मंस - पहाई ॥८॥ रहबरु वाहि वाहि जहि उववणु । णं दरमलिउ वियड्. जोवणु ॥३॥
धत्ता सारहि एह पावणि हउँ सो रावणि विहि मि भिडन्तहूँ एउ दल । जिम हणुवहाँ मारि जिम मन्दोपरि मुभह सुष्टुपखउ अंसु-जलु' ॥१०॥
जं जानियउ अक्सर रण-रसाहिउ । रहु सारहिण हगुवहाँ सम्म बाहिउ ॥
छन्तु रणे तेण वि विट्टु केहउ । रयणापरेण गमा-बाहु जेहउ ॥१॥