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पडमचरित
हत्यि व संखुहिय । सूर व बहु-उदय ॥८॥ जलहि व उग्याल । सेल व्द संचल ॥३॥ वणु-देह - वारणई । गहियाई पहरणह ॥१०॥ अण्णेण हुलि-लु । अण्णेण झस-सूल || अन्णेण गय-दण्ड । अफ्ण कोवण्डु ॥१२॥ अण्णेण सर-जालु । अपण करवालु ॥१३॥
पत्ता एवं दस्ाप्पण-किरहुँ वलु सपणचि सयलु संचझिउ । पलय-कालें उचहि-जलु पिय-मनाय मुअन्सुरथस्लिउ ।।१५॥
[२]
. दुबई
खोहिउ सायरो व लङ्का-णयरी जाया समाउला ।
रहबर-गयवरोह-जम्पाण-विमाण- तुरा - सकुला ॥१॥ वल कहि मि ण माइउ णांसरन्तु । संचल्लु पोलिय दरमलन्तु ॥२॥ धय - चवल - महन्द्रय - थरहरन्तु । पशु-पढ़ह - सङ्ग-महल - रसन्तु ॥३॥ विणु खेत्रे पहरग-वर-कोहि । वणु वेडिट रावण-किधरेहि ॥२॥ णं सारा मालुं पव-षणेहि । तिहअणु तिहि मि पहनगेहि ॥५॥ 'तिह घेवि रहवरनायवरहि । पञ्चारिउ मारुद परवरहि ॥६॥ 'पायारु पलोहिउ जिह विसालु । बजाउहु हउ रण कोधालु ॥७॥ वण-पाल वहिय वणु भग्गु जेम । सल खुद्द पिसुण मरु पहर तेम' ॥८ तं णिसुर्णवि धाइड पवण-जाउ । कम्पिल्ल-पवर - पायव - सहा ॥६॥
पत्ता
पदम-भिमन्ते मारुण रिउ साहणु बटु-भाय-समारिउ । णं साहेण विरुद्धऍण मयगल-जहु दिसहि ओसारित ।।३०॥