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पणासमो संधि
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डंका पिट गया हो, मानो वह यह घोषणा कर रहा था कि अरे लोगो, धर्मका अनुष्ठान करो, दूसरोंकी ऋद्धिका विचार मत करो, सत्य बोलो, दूसरेके धनका अपहरण मत करो। यदि तुम यममहिषसे बचना चाहते हो तो मद्य, मांस और मधुसे बचते रहो। यदि तुम संसारकी प्रवंचनासे छूटना चाहते हो तो यह मत समझो कि यमराजका आज्ञाकारी एक प्रहर चला गया, अगित तीम्सी नाड़ी रूपी कुठारोंसे दिन-प्रतिदिन आयु रूपी वृक्ष छिन्न हो रहा है ।।१-१०॥
[७] मानो घटिका बार-बार अपने स्वरमें यही कहती है कि मैं तुम्हें उपदेश कर रही हूँ। जागोजागो कितना सोते हो ! मत्सर, अभिमान और मानको छोड़ो। अपनी गलती हुई आयुको नहीं देख रहे हो ! आयु इन नाड़ियोंके प्रमाणमें परिमित कर दी गई है। एक हजार आठसौ छियासी उच्छ्वासोंके बराबर एक नाड़ी होती है। नाडीका यही प्रमाण है। फिर दो नाड़ियाँ एक मुहर्त जितने प्रमाण होती हैं। तीन हजार सात सौ तिहत्तर उच्छवासोंका प्रमाण होता है। एक मुहूर्तका परिमाण बता दिया। दो मुहूतोंका आधा प्रहर प्रसिद्ध है । वह भी सात हजार पांचसौ छयालीस उच्छ्वासोंके बराबर होता है। दो आधे प्रहरों से दिनके आधेके आधा भाग होता है । सुखनिवास रूप वह पन्द्रह हजार बानबे उच्छ्वासोंके बराबर होता है। इस प्रकार हमने एक प्रहर प्रकट किया । और इसी तरह नाड़ी-नाड़ीसे घड़ी बनती है।
और चौसठ घड़ियोंसे एक दिनरात बनता है । आयुकी शक्ति इसी तरह क्षीण होती रहती है इसीलिए जिन-भगवान् की स्तुति की जाती है।