________________
पउमचरिउ
जइ त्रञ्च । इच्छमि ज़ह अणुदिणु जिणु अञ्च ॥ ५॥ परिसेसइ । इच्छमि जह परमत्थु गवेसइ ॥ ६ ॥
इच्छमि पर कलन्तु इच्छमि जडू कस्य इच्छमि जह पडिमा समारह | इक्छमि जइ पुनउ णीसार ॥७॥ इच्छमि अभय द्राणु जइ देस इच्छमि जइ तत्र चरणु लघुसड् ||८|| इच्छमि ज ति कालु जिणु वन्दइ । इच्छमि सद् मणु गरह जिन्दइ ॥१॥
१२८
धत्ता
अणु मि इच्छमि मन्दोयरि आयामिय-पवराहवहीँ । सिरसा चलहिं विद्वेष्पिणु जड़ भई अप्पइ राहवहाँ ॥ १० ॥
[१५]
जइ पुणु पाषाणन्दणों ण समप्रिय रहु-पन्द्रहों ।
णन्दणवणु
तो हउँ इच्छमि उ हले पुरि विपन्ती उहि जले ||१|| इच्छसि भजन्त । इच्छमि पट्टणु पलग्रहों जन्तर ॥२॥ इच्छमि णिसियर पल अत्यन्त | इच्छमि घर पायालहों जन्तर ||३॥ इच्छमि दहमुह-सरु छिन्त । तिलु निलु राम-सरे हि भिनन्तर ॥४॥ इच्छाम इस वि सिरहूँ विदन्तहूँ । सरं इंसाहब व सयवत ||५ इच्छमि अन्तेरु रोवन्तर केस विसन्थुलु घाहावन्त ॥ ६ ॥ इच्छमि द्विजन्त वय- चिन्ध । इच्छमि णचन्ताइँ कबन्ध ॥७॥ इच्छमि धूमन्धा रिजन्त । चड- दिसु सुहड- चियाइँ वलन्त हूँ जं जं इच्छमि तं तं सचाउ । णं [ सो] करमि अज्जु हरु पचड ॥ १ ॥
L
||
.
धत्ता
जो आइड राहत्र केरड एहु अरबद्द अस्थउ ।
महु सद्दल-मणोरह- गारज तुम्हहँ मुक्खहूँ पोउ || १० ||