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१२.
पटमचरित्र घर-पाय-नले पडणारएदि । सिाल-गहेहिं विहि-मार हिंपा। उबलिए हि घेलिएहि । बट्टुलिए हि गुप्फहि गोल्लिएहि ॥३।। घर-पोहरि हि मायन्विएहि । सिरि-पवय-तणिऍहि मणि हि ॥४॥ ऊरुअ-जुगुणणिप्पालएण । कडिमण्डलेश करहारएण ॥५॥ वर-सो णि कशा केरियाएँ । तणु-णाहिएण गम्भीरियाएँ ।।६॥ सुललिय - पुहिएँ सिङ्गारियाएँ । पिपरणियएँ पुलवरियाएँ | घरछपले मनिममएसएण ! भुभ-सिहर हिँ पच्छिम-देसएण ॥८॥ वारमई - केरै हिं पाहुलेहि । सिन्धव - मणिवन्धहि बाटुकाई | माणुग्गीव कच्छायणेण । उसडर गोगडियाँ तगेण ॥१०॥ इसगावलियएँ कपाडियएँ । जीह कारोहण - बाविया ॥११॥ णासउहि तुम-विसय-तणेहि । गम्भीरहि वर - लोगणेहि ।।१२॥ भउहा - जुपुण उमेणगुण । भालेण चि चिसाऊदएण ॥१३॥ कासिएहि कवीलहिं पुजएहि । कपणेहि मि फग्णाजहि ॥१४॥ काभोलिहि केस-विसेसएण । त्रिणएग वि दाहिणएसएण ॥१४॥
धत्ता
अब किं वहुणा विस्था श्र-णिविणण सुन्दर-महण । एकेकाउ वस्धु लएप्पिणु णावइ पदिय पथावण ॥१६॥
राम-विलोप दुस्मणिय अंसु-जलोक्षिय-लोणिय । मोकल-केस कवोल-भुन बिष्ट विलटुल जणय सुभ ॥१॥