________________
एकूणपण्णासमो संधि
१११
पूछा था । उसने कहा, "प्रिये, मैं रावणके पास जाता हूँ, रामसे उसकी सन्धि करवा दूंगा। विभीषण, भानुकर्ण, मेघवाहन, भय, मारीच और दूसरे लोग क्या कहते हैं; इन्द्रजीत, अक्षयकुमार और रंगमेंदुनिवार पंचमुख क्या कहते हैं। इतनोंमें किसकी क्या बुद्धि है, कौन रामका अनुचर है, और कौन रावणका 1 बार-बार मैं रावणसे यही कहूँगा कि तुम शीघ्र दूसरेके स्त्रीरत्नको वापिस कर दो। रामके लिए सीतादेवी अर्पित कर अपनी धरतीका निर्द्वन्द्व रूपसे उपभोग करो ।।१-६॥
C
उनचासत्र संधि
इस लंकासुन्दरीसे विवाह कर, रामके आदेशानुसार हनुमान ने महाभयभीषण विभीषणके घर प्रवेश किया ।
1
[१] सुरवधुओंके लिए आनन्ददायक शतशत युद्धभार उठाने में समर्थ प्रवल शरीर प्रलम्बबाहु हनुमानने लंकानगरीमें प्रवेश किया। वह इन्द्रजीत, भानुकर्ण और मारीच आदि, रावणके अनुचरोके भवनों को छोड़कर सीधा जन्-मन और जननेत्रोंके लिए आनन्ददायक विभीषणके घर जा पहुँचा। उसने भी उठकर हनुमानका खूब आलिंगन किया। फिर उसने उसे ऊँचे आसन पर बैठा दिया मानो जिन ही जिनशासन पर प्रतिष्ठित हुए हों। ( इसके बाद ) कैकशी के पुत्र विभीषणने पूछा, "मित्र, इतने समय तक कहाँ थे आप? क्या आपके कुल और द्वीप में क्षेम