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पठमचरित
[-] अंशुवन्सेंण इउ बजाउहो। सयलु वि साइशु भग्गु परम्मुहो॥ वेन तेन तेन सित ॥४॥१॥ गट विहाफर हिँ परमेसरि ।
मच्छद सीलएँ लकासुन्दरी ॥ तेन तेन तेन विसे ॥१२॥ 'कि अच वि ण मुहि एव वत्त । भासाल-विज भाहर्षे समत्त ॥३॥ अभिटु सुहारउ जणणु जो वि । रणे व पहारें णिहउ सो वि' ॥५॥ सं णिपुणे वि अमर-मणोहरी । पाहाविउ कासुन्दरी ॥५॥ 'हा मई मुएवि कहिं गयउ साय | हा कलुणु रूमस्तिह दो वाय ॥६॥ डा ताय सयल-भुषणेक-बीर । पर-वल • पबल - गलथण सरीर In हा ताय समरै भा-थव-णिसुम्म । सप्पुरिस-रयण महिमाण-सम्म' ।।
पत्ता अबराएँ स-इत्य लुहिउ मुहु 'इल काई गहिलिग रुमहि नुहुँ । लइ धणुहरु रहबर चदहि तुहुँ बछ चुग्झहुँ जुहूं सेण सहुँ Hell
[-] तं पिसुप्पिणु कुइय किसोयरि । घटिय महारहे लासुम्दरि ॥ तेन सेन सेन चिलें ॥॥ धशुहर-हस्थिय वाणुग्गाविरि ।
सहुँ सुर-वाघणणं पाउस-सिरि ॥ तेन तेन तेन चित्तें ॥२॥ धुरै अइर परिद्विय रहु पपटु । पर-बल-विणासु अखलिय-मरटु ॥३॥ तहि चढेंवि पधाइय रणे पचण् । मायकहाँ करिरीण व उद्ध-सोण्ड ॥१॥ सूरह सण्णन व काल-रन्ति । सइहाँ थक व पठमा बिहत्ति ॥५॥ हक्कारिउ रणे हशुवन्तु तीएँ । भनाणणु जिह पञ्चागणीप ॥६॥ मुह-कुहर-विणिग्गय-कडुभ-वाय । 'बल्ल बलु दहवयण हाँ कुद्ध-पाय 1181