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परामचरिस
को वि विरुधु पुणु पुणु णिन्दइ । 'धम्म मुएषि पाउ किं पन्दह' ॥५|| को वि भणइ 'जे मग्गिउ भोयणु । दीसा सो स्ले गाई पॅड बम्भणु' ॥३॥ ताम कुमार रिंज उपधाये। चौर पराउलेग पिड बन्धे वि ॥७॥ सासकारु स-दोरु सणेउरु । दुम्मणु दीण-वरणु भन्तेउरु |॥८॥ धाइड अंसु-जलोमिय-णयणा । हिम-हय-कमलवणु घ कोमाणउ ।।९॥
पत्ता केस-घिसन्धुलु मुह-कायरु करुणु रुअन्तउ । थिड चउपासे हि मत्तार-भिक्ख मग्यम्तउ ।।१०।।
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ताम मणेण सकिया राहवस्स परिणी।
f मय-भीय काणणे चुण्णुरपण हरिणी ॥१॥ 'पेक्नु पेक्षु वलु बलु आवन्तउ । सायर-सलिलु जेम गज्जन्त ॥५॥ सइ घणुहरु म अछि णिचिन्तड । मम्युहु लक्खणु रण अत्यन्त ॥३॥ संणिसुणे वि णिवूढ-महाहवु। जाम चाउ किर गिण्हह राहवु ॥॥ ताम कुमार दिछु सहुँ णारिहि । परिमिउ हस्थि प्रेम गणियारिहिं ॥५॥ तं पेक्वेप्पिणु सुहड-णिसामें। मीय सीय मम्मीसिय रामें ॥६॥ 'पेक्खु केम सीहोयर बउ । सोहेण व सियालु उट्ठछड' ॥७॥ एव वोल्ल किर वइ जाब हि। लक्षणु पासु पराइड तायें हिं ।८।। चलणेहि पडिउ विगावड-मस्थउ । भविङ वाजिणहीं कियजलि-हस्थत ॥९॥
घत्ता 'साहु' भणन्तण सुरभवण-विणिग्गय-णाम । स हूँ भुस-फलिहहि अवडिउ लक्षणु रामें ॥१०॥