________________
पउमचरित
धत्ता ताम कुमारग विभाइर-करण करेपिणु । धरिड पराहिउ गय-मस्थर पार थवेप्पिणु ॥1॥
[१] मरवा बीघ-माहि जं धरिट सक्खणेणं ।
केण वि वजयपणहो कहिउ सक्सणं ।।३।। हे गरणाह-गाह अच्छरियउ। पर-बलु पेक्सु केस जजरियउ ॥२॥ कण्ड णिरन्तर सोणिय-अधिक । णाणाविह-विहा परियबिउ ॥३॥ को वि पण्ड-वीरु वलयातउ । भमइ किंयन्तु व रिज-जगसन्तउ ॥३॥ गय-घद मार-धड सुहब पहातउ । करि-सिर-कमल-सण्ड तोरन्तर ।।५।। रोका कोइ छ थाह। खय-कालु समरे परिसह ।।६।। भिडि-मपाल कुरुद समरु । घिउ अवलोयणे णाई सणिरु ॥७॥ ण जाण? किं गणु किं गन्धयु । किं पच्छण्णु को वि सङ धम्धत् ॥६॥ किष्णरु किं मारुनु विजाहरू। किं वम्माणु माणु हरि हलहरु ॥५॥ तेपा महाहवे माण-मइन्दाँ। विणिवाइय दस सहस रिम्दह ॥१०॥ अण्णु वि दुज्जर मच्छर-मरियड । जीव-गावि सीहोयस धरियड ॥१॥
घत्ता एवं होम्सण बलु सयलु वि भाहिन्दोलिन । मन्दर-वीण णं सायर-सलिल विरोलिज ॥१२॥
[१९] ताणसुणेवि को वि परितोसिलो मणं ।
को विणिरहुँ लग्गु उडूण जम्पणेणं ॥१॥ को वि पम्पिङ मग्छर-मरियड । 'चङ्गव जं सीहोयरु धरियउ | RA जो मारेवर घरि सहर । सो परिषदूघु पाड पर-हथें ।।३।। वन्धव-सयहिं परिमित अज्जु 1 बजयण्णु अणुहाउ रज्जु' ।।