SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६४ पउमचरिउ [१५] दसउरपुर- सीमन्तरु पत्तहूँ ||१|| सारस - हंसा कि वग- चुवि || २ || मुनिवर इव सु-हाई सु-पत्तहूँ ||३|| हम किर संचित एव तुरन्त हूँ । दिट्ट महासन कमल-फरयि । उहूँ सोहन्ति सु-पत्तहूँ । सालिवण पति सुनीं । उच्व दल-दीहर-गहूँ । पक्कय-पव- पीलुप्पल सामेंहिँ । सीरकुडुम्बर मणुस पदीसित । हडहद - फुट्ट - सीसु चल-गयणड । णिय वह छलहुँ व दुकलसहूँ ||५|| तहिँ पसन्त हि लक्खण- राम हिं ॥६॥ कुष्णु कुरकु व बाहुत्तासि ॥७॥ पाणकन्तु समुढ श्रयण ॥८॥ घत्ता सो पासन्तु कुमारें सुरवर-कीर - खण्डे हिं । आणि राम पासु धरेविंस इं भु दण्डेहिं ॥ ९ ॥ [ २५. पंचवीसमो संधि ] अणुहर-हर्येण दुब्वार-वइरि आयामें । सीरकुडुविउ मम्भीसेंषि पुच्छिउ रा ॥१॥ [] दुइम-दाणविन्द-मण- महाहवेणं । भो भो कि पिसन्धुलो बुत्तु राहवेणं ॥३॥ संणिसुकि पंजम्पिङ गहषछ । सीहोरहों भिक्षु हिच्छिउ दसउर-णाहु जिणेसर-मन्तड । बजयण्णु णामेण सु-णरषद् ||२|| भरहु व रिसह हाँ आणव ढिच्छिउ ॥ ३ ॥ पियवह पासें जब सन्तउ || १ ||
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy