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पउमचारेड
[८] तहि तह रस-वस-पूय-भरें। गव मास पसवा देह-धरै ॥१॥ गध-पाहि-कमलु उस्थटल जहिं । पहिलउ में पिण्ड-संवन्धु तहिं ॥२॥ दस-दिवसु परिदिउ रुहिर-जलें। कणु जेग पइपण धरणियलं ॥३॥ विहि दसररोहि समुद्वियउ। र्ण जले विगहीरु परिष्ट्रियउ ॥४॥ तिहिं दलरत्तेहि बुब्धउ घडिउ । f सिसिर-गि म पडिउ ॥५॥ दसरत चउत्थएँ वित्थरिक। णावइ पबलकुल गोसारेउ ॥६॥ पश्च में दसरसे जाव बलिउ। णं सूरण-कन्दु चउफसिउ ॥७॥ दस-दसरतेंचि कर-चरणम-सिक ! वी my] भरी थिम ! ८ !! णवमासिउ देहही गोसरिज। बदन्तु पहोवर वीसरिउ ॥९॥
पत्ता जेण दुवार भाइयउ सो त परिहर हि ण सका। पन्तिहिं जुत्त बल्लु जिह भव-संसार ममन्तु ण यश ॥१०॥
[९] ऍड जाणे वि धीरहि अप्पगा। करें कङ्कणु जोबधि दपणा ॥१॥ चटगह-संसार भमन्तएंग। आवन्त जन्ता-मरन्तएँग २॥ जग जीये की ण स्वापियउ ३ को गरुम धाह ण मुआविया ॥३॥ को कहि मि णाहिं संताविया । को काहि मि ण आवह पाविया ॥३॥ को कहिण दलको कहिण मुउ । को कहिण भमिड को कहिण मङ॥५॥ कहि ज वि भोयणु कहिण वि सुरउ । जम जीजहों कि पि ण वाहिरउ ॥ ॥ सइलोक्छु कि असिड असन्शएंण । महि सथल दन मन्तऍण ॥७॥
पत्ता सायर पीड पियन्सऍण अंसुएँ हिं अम्त मरियउ । हह-कलेवर-संचऍण गिरि मेरु सो घि अन्तरिपउ ॥८॥