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________________ 19 पामचरिड [३] परमैसरु पमणइ बल वि मुहु। "तिय-रयाणु पसंसहि काइँ सुहुँ ॥१॥ पेक्खन्तहुँ पर वष्णुज्जलउ। अक्मासरे रुहिर-चिलिविलउ ॥२॥ बमाध-देहु घिणि-विदलउ । पर घमें इङ्गहँ पोदलङ १३॥ मायाम जन्तें परिममछ। भिषण णव-गाडिहि परिसवइ ॥३॥ कम्मल-गण्टि-सम-सिकिरिड । रम-बम-सोणिय-काम-मरित ॥५॥ बहु-मस-रासि किमि-कोड-हर। यह वरिट भूमोहें भर ॥६॥ आहारहाँ पिसिनउ सीरियड । गिसि मडउ दिवसें संजीवियउ ॥७॥ णीलासूसासु कान्ताहुँ। गउ जम्मु जियन्त-मरता? ॥८॥ घन्ता मरण-काले किमि-कप्परिउ जे पेक्खें वि मुहु पङ्किजइ । घिणिहिणन्तु मश्रिणय-सएँ हिं ते तेहउ केम रमिजद ॥५॥ [ • ] सं चक्षण-शुअलु गइ-मन्थरड । सउहि खजन्तु भयङ्करउ ।।।। ते सुरय-णियम्बु सुहावण । किमि-विलविलन्तु चिलिसावण ॥२॥ तं णाहि-पएसु किसोयरउ । खजन्त-माणु थिउ मासुरज ॥३॥ तं जोन्त्रशु अवरुपडण-मणा । सुजन्तु णपर भीसावणठ ॥४॥ सं सुन्दरु वय णु जियन्ताहुँ। किमि-कपिउ पावर मरम्ताहुँ ॥५॥ से अहर-पिम्बु वाणुजलउ । लञ्चन्तु सिहं चिणि-बिलाइ ॥६॥ सं णयण-जुअलु चिलभम-माउ । विच्छायउ काहिं कप्परिट ॥७॥ सो चिर-मार कोड्डाषणउ'। उन्तु णवर भीसाधणउ ॥८॥ घत्ता तं माणुसु हं मुह-कमलु ते थण त गानालिझाए । णवर धरेषिणु णासउड्डु बोलेप3 "घिधि चिलिसावणु" |॥९॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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