________________
पउमचरित
ला ला बइ बतागु खण्डहि। लइ लइ बह जिण-सासणु छगडहि ॥३॥ कह ला जइ सुरवरहुँ प अहि । ललई जा णस्यहीभमु सजा ।।३। लहलह जन परलोड ण जाणहि । लइ लइ जहणिय-आउ म माणहि ॥५॥ छाई कई जाणिय-रज्जु ण इहि । लइ लाइ अई जम-सासणु पेलहि ॥६॥ लइ लइ जइ णिविपणउ पाणहुँ । लइ लइ बह उरु उहि वाणहुँ ॥७॥ सं जिसुणेवि वयणु असुहावन। अइ-मरणाउह पभणइ रावणु ॥ ८॥
घसा 'माणषि एह तिय जंजिन एक मुहुत्तः । सिव-सासय-सुहहाँ तहाँ पासिउ एउ बहुत:' ॥९॥
[५] विसयासत-चित्तु परियाणे यि । विजएँ, बुत्तु णिहत्तद जाणें वि ॥२॥ 'णिमुगि दसाणण पिमुणमि भेउ । वेगह वि अस्थि एका सकेट ॥२॥ एहु जो दीसइ सुहछु रणझणें। वापरन्तु खर-दूसण-साहणे ॥३॥ एयही सोझगाउ आयपण वि। ह-कलानु व तिण-समु मपणे वि॥७॥ धावह सीह जेम ओराले वि। वजावर पाउ अफालेवि ॥५॥ तुहुँ पुणु पच्छ धण उहालहि । पुष्फ-धिमार्गे छह वि संचालहि' ॥६॥ तं णिसणेपिणु पभागाउ राउ परे धई पई में करेव पाड || पहु-आपमें विज पधाइन । पिगिस तं संगामु पराइन ||८||
वत्ता
लक्षणु गहिय-सरु जं णिसुगिज गाउ मयकरु । धाइउ दासरहि णहं मधणु णाई अव-जलहरू ॥९॥