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पउमचरिउ
मेहलु मेहल - गिवण मम् ॥ ४ ॥ ओहाषण-भार्णे ण वि णमन्ति ॥ ५ ॥ पढियो वि ण उट्टर मडु भरेण ॥ ६ ॥ चिडफड सण्णज्झन्ति जोड़ ॥ ७ ॥ सो होम रायहाँ तणिय आण ॥८॥
पत्ता
में कज्जु विणासही नाम बईसहों जो अभि-रय मण्ड हरइ | सिर खुद्द कुमार विज्ञा-पारहों सी कि सुम्महिं ओवरड् ॥ ९ ॥
उण मज तुवि लग्गु । उद्धन्ति के षि तिण-समु गणन्ति अहम को विणि रामेण ।
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दूसणेण शिवार व कोह 'जड़ पर वि देहु आरूसमाण ।
माणव दुमाह-गाहु | लोक-भुषग्गल-भड तक |
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तो घरि किन महु तणिय बुद्धि गाव वि ण चह विष्णु तारपूर्ण । एक गम्णुि काहूँ रहि । सन्तेषि महाएँ बिस चढहि । असारदि कुटु भुषणेकवीरु । जग केसरि अरि-कुल-पय-कालु ।
णरवद्द असहायहाँ णत्थि सिद्धि ॥ १ ॥ जलशुविण जल विष्णु माकण ॥ २ ॥ रमणारे सम् खिसाएँ मरहि ॥ ३ ॥ जिर्णे भविए वि संसारें पढहि ॥ ४ ॥ सुरवर-पहरण- चड्डिय सरीक ||५|| पर-बल-बगलामुडु भुभ-विसालु ॥६॥ सुरकरि-कर-सम-थिर-थोर- वाहु ॥10॥ दुरिसण मीलण जम- सडक ॥८॥
धत्ता
तहाँ तिहुअण-माँ सुर-मण-सह शिवस-विन्द-संतावणहाँ । गड सम्व सुहग्गद्द पहँ लगाइ गप्पि कहिजा रावण ॥९॥