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________________ पडमचरिद [ ] पुणु पुणु वि पवढिय किलिकिछति । जाहापलि-बाला-सय मुन्ति॥॥ मय-मीरण कोषाणल-सणाह । पं धरऐं समुग्मिय पधर चाह ॥२॥ णाह-सरि-रवि-कमलहों कारणस्थि। अहवह णं मुद्धारणस्थि ॥३॥ णं घुसला भम्भ-चिरिड्डिहिल्लु। तारा-वुख्खुव-सय-विहिरिएलु ॥४॥ ससि-लोणिय-पिपब केवि धाइ। गह-हिम्मही पोहउ देइ णा ॥५॥ माहवह किं पहुणा विस्थरेण । णं पाहयल-सिल गेण्डा सिरेण॥६॥ णं हरि-बल-मोत्तिय-कारणेण 1 महि-गयण-सिप्पि फोडइ खणेण॥७॥ बलए बुबह 'वच्छ वा सुहुँ बहुयह परियई पेच्छ पेच्छ॥८॥ घत्ता चन्दणहि पम्पिय सिणु षि ण कम्पिय 'कन सम्गु हा पुत्तु जिह । तिणि वि खजान्तइ मारिनन्त है रक्खेजहाँ अप्पाणु तिह ॥५॥ वणेण तेण असुझावणेण । करवाल परिसिध महुम हेण ॥१॥ दक-कढिण-कोरुप्पीलणेपण। अलि-अट्ठावीलणेण ॥२॥ & मण्डलगु थरहरह केम। भत्तार-मएं सुकलतु जेम ॥३॥ अणवस्य-मबमा गर-णिसुम्भे । तहिं दारिमन्तें गइन्य कुम्भे ॥१॥ जो चाहिं मोत्तिय-णियफ ला । पासव-फुलिङ्ग बहु क वलम्गु ॥५॥ संतेहउ पग्गु लएवि तेण । विजाहरि पमणिय लक्षणेण ॥६॥ 'जै लाइड सीसु तुह पदणासु । करवालु एउ. सूरदासु ॥७॥ बइ अस्थि को वि रण-सर-समाथु । तहों सम्बहाँ उम्मिन धम्म-हथु ॥४॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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