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________________ छसोसमो संधि २॥ करती है, जिात हो कि सिनरूपी मामलको काटनेवाली होती है; जो कुलवधू कसमोंसे व्यवहार करती है ( बात-बातमें कसम खाती हैं ) विश्वास करो कि वह सैकड़ों विदुरूपताएँ करनेयाली होगी। जो कन्या होकर परपुरुषका वरण करती है, वह क्या बड़े होनेपर ऐसा करनेसे विरत हो जायेगी। इन आठों ही बातों में जो मूढ़ मनुष्य विश्वास करता है लौकिक धमकी तरह वह शीघ्र पग-पगमें अप्रिय प्राप्त करता है ।।१-२|| [१४] कमलमुख रामने विचारकर लक्ष्मणसे कहा"मेरी सुन्दर पत्नी है। हे लक्ष्मण, तुम लक्षणोंसे युक्त बहू ले लो।" जब उन्होंने संक्षेप में इस प्रकार कहा तो लक्ष्मणने भी अपने मनमें विचार किया (और कहा)-मैं भी लक्षणोंसे युक्त कुमारी ग्रहण करूँगा जो कि सामुद्रिक शास्त्रमें कही गयी है। जो जाँघों और ऊरओंसे अभंग हो, गोल स्तनोवाली हो, जिसके हाथ, नख, अंगुलियों और नेत्र लम्चे हो। लाल चरणोंवाली, गजेन्द्रकी तरह दर्शनीय तथा स्वर्ण रंगकी पूजनीय हो। जो नासिका और ललाटमें उन्नत हो, वह तीन पुत्रोंकी माँ होती है। कौए के समान पैरों और गद्गद स्वरवाली तपस्विनी होती है। जो पैरों में समान अँगुलियोंवाली होती है वह कम आयुवाली होती है। जो हम, बाँसुरी, वीणाके स्वरवाली, मधुके समान रंगवाली, महामेघोंकी कान्तिको धारण करनेवाली, शुभ भ्रमरके समान नाभि और सिरवाली, भ्रमरके समान स्तनबाली (??) होती है, वह अनेक पुत्रों, स्वजनों और अत्यधिक धनवाली होती है। जिसके बारने करतलमें सदैव मछली, कमल, वृष, दाम और ध्यज, गोपुर, घर, गिरिवर अथवा शिला हो, सुप्रशस्त मा महिला लक्षणवती होती है। चक्र, अंकुझ और कुण्डलको कारण फरनेवाली जिसकी रोमावलि सौंपकी तरह मुड़ी हुई हो. पथचन्द्रके समान सुन्दर ललाट, और मोतीके समान अपने दाँतों
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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