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जा कुलबहु सवर्हे हि वबहरहु । जा कण्ण होत्रि पर
रु वर ।
ਸਰਬ
सापयित्रिय हूँ करइ ॥७॥ सः किं बसी परिहरइ ॥ ८ ॥
प्रसा
र नूह
आयहुँ अहहु मिजो लोइड धम्मु सिंह खुद त्रिष्प
- कुण्डल दरिद । अन्तु - णिवा सुन्दरेण ।
बीसम्भ |
प पऍ लम्भइ ॥ ९ ॥
[४]
सम्पणु घेरा सण मुद्देण । 'महु अस्थि मज्ज सुमणोहरिय | एव समास अक्खिराउ | हउँ लेमि कुमारि स लक्खणिय जल-अङ्गय वट्ट-थण । रहि इन्द्र णिरिणिय । जा उण्णय मार्से मिला ति । काय िस गग्गर तावसिय ।
सो मिति बुत्तु सीरा ॥३॥ लहू लखण बहु लक्खण- भरिय ॥ २ ॥ कण्हेण वि मनें उक्ल विखयड ॥ ३ ॥ जा आपमें सामु समि ॥४॥ दोहर-कर-लि-यण ॥५॥ चामीयर-वरण सपुजनिय १६ ।। साहो ति पुरा माययि ॥७॥ सम-चलणङ्गुलि अचिराउसिय || ८ ||
जा हंस- वंस - बरवीण-सर ।
महु-पण महा-घण- छाय-थर ॥९॥
जड़ें वामएँ कर दोन्हि सय । गोड घरु गिरिवरु अहब सिक ।
सु-ममरणाहि सिर-ममर-धण ( ? ) । सा बहु-सुथ बहु-घण बहु-सयण ॥ १० ॥ मीणारविन्द विस-दाम-धय ॥ ११ ॥ सु पसरथ स-कलण सा महिल ॥ १२ ॥ रोमावलि बलिय भुयञ्जु जिह ॥ १३ ॥ मुसाहल - सम-दन्तसरें ॥ १४ ॥