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________________ २६२ जा कुलबहु सवर्हे हि वबहरहु । जा कण्ण होत्रि पर रु वर । ਸਰਬ सापयित्रिय हूँ करइ ॥७॥ सः किं बसी परिहरइ ॥ ८ ॥ प्रसा र नूह आयहुँ अहहु मिजो लोइड धम्मु सिंह खुद त्रिष्प - कुण्डल दरिद । अन्तु - णिवा सुन्दरेण । बीसम्भ | प पऍ लम्भइ ॥ ९ ॥ [४] सम्पणु घेरा सण मुद्देण । 'महु अस्थि मज्ज सुमणोहरिय | एव समास अक्खिराउ | हउँ लेमि कुमारि स लक्खणिय जल-अङ्गय वट्ट-थण । रहि इन्द्र णिरिणिय । जा उण्णय मार्से मिला ति । काय िस गग्गर तावसिय । सो मिति बुत्तु सीरा ॥३॥ लहू लखण बहु लक्खण- भरिय ॥ २ ॥ कण्हेण वि मनें उक्ल विखयड ॥ ३ ॥ जा आपमें सामु समि ॥४॥ दोहर-कर-लि-यण ॥५॥ चामीयर-वरण सपुजनिय १६ ।। साहो ति पुरा माययि ॥७॥ सम-चलणङ्गुलि अचिराउसिय || ८ || जा हंस- वंस - बरवीण-सर । महु-पण महा-घण- छाय-थर ॥९॥ जड़ें वामएँ कर दोन्हि सय । गोड घरु गिरिवरु अहब सिक । सु-ममरणाहि सिर-ममर-धण ( ? ) । सा बहु-सुथ बहु-घण बहु-सयण ॥ १० ॥ मीणारविन्द विस-दाम-धय ॥ ११ ॥ सु पसरथ स-कलण सा महिल ॥ १२ ॥ रोमावलि बलिय भुयञ्जु जिह ॥ १३ ॥ मुसाहल - सम-दन्तसरें ॥ १४ ॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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