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________________ पंचतीसमो संधि नेत्रोंवाले असर और मोंगर धारण किये हुए, जीभ लपलपाते हुए, निकले हुए दाँतोंवाले, उद्भट और विकट दाढीवाले, तथा भयसे भास्वर थे। उन यमदूतोंके द्वारा, चिल्लाता हुआ वह राजा, मन्त्री और स्त्रीके साथ ले जाया गया। जाकर उन्होंने यमराजको बताया, “इसने मुनिसमूहको पीड़ा दी है।" यह सनकर प्रजापति कुपित हो उठा कि इन तीनोंको भारी आपत्ति दी। प्रभुके आदेशसे पापिनो दुनयम्वामिनी छठे नरक में डाल दी गयी जहां कि अत्यन्त घोर और भयंकर दुःख थे और आयु केवल बाईस सागर प्रमाण थी॥१-॥ [१३] जहाँ एकके द्वारा दूसरा इकारा जाता था, एकके द्वारा दूसरा प्रहारसे कुचला जाता था, एक दूसरेको चूर-चूर करनेके लिए चूर हो जाते, एक दूसरेको मारने के लिए प्रवृत्ति की जाती। एक दूसरेके द्वारा त्रिशूलसे विदीर्ण किया जाता | एक दूसरे के द्वारा दिशाबलि दी जाती; एक दूसरे के द्वारा कड़ाहमें छोड़ा जाता; एक दूसरेके द्वारा आगमें ढकेला जाता, एक दूसरेके द्वारा वैतरिणी में डाल दिया जाता । एक दूसरेके द्वारा पकड़कर ले जाया जाता। एक दूसरेके द्वारा चट्टानपर पटका जाता, एक दूसरेके द्वारा दो टुकड़े कर दिये जाते। एक दूसरेके द्वारा पकड़कर पीड़ित किया जाता। एक दूसरेके द्वारा वस्तुकी सरह पीड़ित किया जाता। एक दूसरेके द्वारा घरट्टमें चूर-चूर कर दिया जाता। एक दूसरेके द्वारा कुँएमें फेंक दिया जाता। एक दूसरेके द्वारा प्रकरकी तरह एक दूसरेसे मिला दिया जाता। एक दुसरेके द्वारा पकड़कर रोक लिया जाता । एक दूसरेके द्वारा रागसे देखा जाता, एक दूसरेके द्वारा सलवारसे विदीर्ण किया जाता । एक दूसरेके द्वारा जहाँ एक दुसरेको निगल लिया जाता । विश्वास करो, दुर्नय-स्वामिनी वहाँ है ॥१-१०॥ [१४] और भी जिसने मन्त्रित्व किया था उस लक्षणहीनको
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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