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________________ १२० पउमचरित के बि अण्ण पर दुइ-परिचता। देवलोएँ देवत्तणु पचा ॥३॥ चन्दाइच-राहु-अङ्गारा। अहाँ अण्ण होन्ति कम्मारा ॥२॥ हंस-स-मेस-महिस-विस-कुम्जर। मोर-तुरङ्गा-रिजल-मिग-सम्बर ॥३॥ बह देवहुँ जें मजा संमा। तो किं कर वाहण दमा In ऍहु जो दीसह कुलिस-प्पहरणु । सहसणयणु महावष-वाहणु ३५॥ गिजा किष्णर-मिगुण-सहासें हिं। सुरवर जय भणम्ति घउपासें हिं ॥६॥ हाहा-हनुम्बुरुणारा। सेजा-तेण्णा जसु चकारा ॥७॥ चित्तको वि मुरब पडिपेलाइ । रम्म तिलोप्तिम सह उग्वेला ॥८॥ घत्ता अपणु असुर-सुर? अब्भन्तर मोक्नु जेम थिउ सम्पहुँ उम्परें। दोसह जसु एबहु पछुतणु पत्तु फलेण कण इन्दत्तणु' ॥९॥ सं वयणु सुणे वि कुलसणेण । कन्दप्प-दप्प-विद्धसणेण ॥३॥ सुणु अक्षमि बुबइ सेण वलु। आयपणहि धम्माँ सणउ फलु ॥२॥ महु मज्जु मंसु जो परिहर ।। छजीव-णिकरयहाँ दय करह ॥३॥ पुणु पच्छह सालेहण मरई। सो मोक्ख-महा-पुरे पडसरह ॥४॥ जो घहुँ दरिसावह पाणिवह। अण्णु वि मह-मसरों तणिय कह ॥५॥ सो जोणी खोणि परिम्भमा चउरासी लक्ष जाम कमाइ ॥३॥ ऍउ सुकिय दुक्किय कम्म-फलु। सुणु पवहिं पञ्चहाँ तणउ फलु ||७॥ तुल-सोलिय महि स-महोहरिय। स-सुरासुर स-घण स-सायरिय ।। ८॥ पत्ता वरुण कुषेर मेरु कइलामु वि सुल-तोलिउ तइलोक्कु असेसु वि। सो वि ण गरुवसणउ पगासिउ सषु स-उसर सबह पासिउ ॥९॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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