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________________ समो संधि २१९ [१] पाँच महाव्रतों का क्या फल है, अशुत्रत, गुणत्रत और शिक्षायतका क्या फल है १ अनर्थदण्ड व्रत लेनेका क्या फल होता है ? उपवास और प्रोषघोपवास करनेका क्या फल होता है ? जीवोंको अभय देनेका क्या फल हैं ? परधन और परस्त्रीकी हिंसा न करनेका क्या फल है ? सच बोलनेका क्या फल हैं ? झूठे वचन छोड़नेका क्या फल हैं? जिनवरकी पूजा करनेका क्या फल है ? जिनके सम्मार्जन, नैवेद्य, दीपांगार और विलेपनसे क्या फल होता है ? चारित्र, ज्ञान, व्रत और दर्शनमें क्या फल है । अन्यके द्वारा प्रशंसित तथा जिनवर शासन में जो फल है, हे कामदेवका नाश करनेवाले आदरणीय, उसे आप विस्तार से बताइए ? ।।१-८|| · [२] राम पुन: पुन: बार-बार कहते हैं- 'पुण्य-पाप, कर्म-फल को बताए । किस कर्मसे मनुष्य शत्रुके लिए भयंकर सचराचर धरतीका भोग करते हैं। किस कर्मके उदयसे शत्रु चक्रको धारण करनेवाले होते हैं। तथा रथ, घोड़े और गजके द्वारा जाने जाते हैं । सुन्दर नारियों और नरवरोंसे घिरे हुए, श्रेष्ठ चामरोंसे हवा किये जाते हुए मनुष्य होते हैं ? सिंहके समान स्वच्छन्द और सुन्दर योद्धा योद्धाओंसे किस प्रकार युद्ध करते हैं। किस धर्म से मनुष्य पंगु, कुबड़ा, बौना, बहिरा और अन्धा होता है | कानीन, दीन मुख, शरीर और स्वरवाला, व्याधिग्रस्त, भील, नाहल, शवर, दरिद्र, दूसरोंकी सेवा करनेवाला किन कमोंसे स्पन्न होते हैं। धीरशरीर, वीर, तपशूर सब जीवोंकी आशा पूरी करनेवाले, इन्द्रियों को शान्त करनेवाले, और परोपकारी, हे आदरणीय, ऐसे मनुष्य कहाँ पाये जाते हैं ? ||१९||
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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