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पउमचरित
हय-पडइ-पगजियनायणयलु। सर-धारा-धोरणि-जल-पहल ॥३॥ घुल-धवन-मृत्त-हिण्डीर-वरु। मण्डलिय-चाव-सुरचाव करु ॥॥ सय-सन्दण-चीन-भयाबहुल ।। लिय यमर-बलाय-पन्ति-विउल ॥५॥ ओरसिय-सदगुदुर-पउरु । तोणार-मोर-णण-गहिरु ॥६॥ ते पेपखें वि गुज-पुज-पायणु।। दहो?-रष्ट्र-रोसिय-वयण ॥७॥ भावजू-तोगु धणुहरु श्रम। शाइड लफ्रखणु लहु लघु-जङ ||4||
घत्ता
सं रिउन्ककाल-त्रिणासयह हलाहे इहें मायर सीयन्दरु । जण-मण-कम्पाघणु स-पवशु हेमन्तु पढकि मामकृणु ॥९॥
आम्फालिउ महुमहणेण धणु। भणु-सहें समुटिउ खर-पषणु ।।१।। सर-पवण-पहय पालघर रखिय। रवियागमे वजासगि पहिय ॥२शा पडिया गिरि सिहर समुपलिय । उच्छलिय चलिय महि मिलिय ॥३॥ जिलिय भुभम विसग्गि मुक्त। गुरुम्त पावर साया दुक ॥४॥ हुमन्ताहि बहल फुलिङ्ग विस। घण सिप्रि-सक्षा-संपुत्र पलित्त ॥५ धगधगधगन्ति मुत्ताहलाई। कहकर कहन्ति सायर-जलाई ॥६॥ हसहसहसन्ति पुलिणन्तराई। जलजलजलन्ति भुअणन्तराई ॥७॥ से धणुहर-सवें णिहरण । रिज' मुक प्याव-मडफरेण ॥८॥
घत्ता मथ-मीय विसाल पर पवर लोहात्रिय हय गथ धर चमर । धणुहर टकार-पवण-पहय रिज-तरुवर णं सम-खण्ड गय ॥१॥