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________________ समो संधि ( महा भयानक ), मदनके समान महानलद्ग्ध शरीर था । मेघ के समान सवारि ( जल सहित ); भटके समान, सवण ( व्रण और वन सहित ), था । उस वैसे वनमें जब वे रहने लगे तो खोटे अपशकुन हुए। शृगाल चिल्लाने लगता है, कौआ बोलता है, भयंकर युद्ध चाहता है। स्वर सुनकर सीता काँप उठी और दोनों बाँहोंसे बाँह पकड़कर स्थित हो गयी और बोली, "क्या आपने किसी नरको बोलते हुए नहीं सुना, जैसा शकुन माना जाता है, वैसा वर देता है ।" यह सुनकर असुरोंका मर्दन करनेवाले लक्ष्मणने सीताको अभय वचन दिया कि जहाँ सीता, लक्ष्मण और राम प्रत्यक्ष हैं, वहाँ स्वप्न और दुःस्वप्नकी क्या गिनती ॥१-९१३ [ ३ ] इसी बीच, हर्षसे उछलता हुआ रुद्रभूति आखेटके लिए चला- तीन हजार रथवरों और गजवरों, इससे दूने ऊँचे मनुष्यवरोंके साथ चलते हुए विन्ध्याचलके प्रमुख राजा रुद्रभूतिने जानकीको देखा जो खिले हुए धवल कमलके समान मुखवाली, और नील कमलदलके समान लम्बे नेत्रोंवाली है । मध्य में दुबली-पतली तथा नितम्ब और वक्षमें भारी है। जब उसने सीताको देखा तो वह उन्मादन, मदन मोहन, सन्दीपन और शोपण आदि बाणोंसे आहत, पीड़ित और मूर्छित हो गया। फिर बड़ी कठिनाईसे उसकी मूर्छा दूर हुई। वह हाथ मोड़ता है, शरीर चलाता है, हँसता है, उच्छवास लेवा है, श्वास लेता और फिर निःश्वास लेता है। कामदेवके तीरोंसे जर्जर शरीर वह मिल्लराज कुपित मन होकर इस प्रकार बोला कि उस वनवासिनीको उन बनवासियोंसे बलपूर्वक छीनकर मेरे पास ले आओ ॥ १-२ ॥ 9944 [४] नरसमूह, वह वचन सुनकर नवमेघकी तरह बछला जो गरजते हुए महागजोंरूपी धनसे प्रबल और तीखे अग्रभाग
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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