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________________ परमचरिड़ मयणो व महाणल-प-राणु। जलउ स्व ल-वारि महु ग्ब स-वणु lan तहि तेहएँ सेले अहिट्टियई। दुणिमिसई साब समुष्टिय ॥५।। फेोकारइ सिव पायसु रसह। मोसावणु भण्डशु अहिलसइ ।।।। सह-सुणेषि पकम्पिय जणय-सुभ। घिय विहि मि घरेप्पिणु भुहि भुषा॥ 'किं ण सुउ चवन्तु वि को विणरु । हि सउड माणिड वेइ बरु' ॥८॥ __ पत्ता त णिपुणे वि असुर-विमणेण मम्मीलिय सीय जणरणेण । 'सिय लक्षणु घलु पञ्चक्नु बाहक सउण-विसउणें हिं गणु तहिं॥९॥ एस्थन्तरें रहस-समुच्छलिउ। भाहे लाभुति चलिउ ।।१।। ति-सहासें हिं रहवर-गयबरें हिं। तद्गुण-तुरले हि ण वर हिं ।।२।। संचलले विझ-पहाणऍण । लक्खिला जाणइ राणऍण ॥३॥ पप्फुल्लिय-धवल-कमल-षयण । इन्दीवर-दल-दोहर-पायण ॥१॥ सणु मजो जियम् वरखें गरुन । ज णरण-कहक्खिय जगाय-मुअ ॥५॥ उम्मायण-मयणें हिं मोहण हिं। वाणे हि संधीवण-सोसणे हिं ॥३॥ आयलिट सल्लित मुग्छियउ। पुणु दुपख दुपस्नु मोमुच्छिया ॥७॥ कर मोरइ अङ्ग वलह हसह । ऊससह ससह पुणु णीससइ ॥८॥ पत्ता भयाद्य-सर-जज़रिम-तणु पङ्गु पम पजस्पिड कुझ्य-मशु । 'अणिमण्डएँ त्रणव सि वणवसहुँ उहाले वि आणही पासु महु ॥९॥ तं चयणु सुणेपिणु णर-गियरु। उधरित गाई णव-अम्बुहरु ॥१॥ गजान्त-महागय-वण-पवलु। तिश्वग्ग-खम्ग-विजुल-बबलु ॥२॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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