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________________ पउभचरिउ जाम नाम रहिं वजन्तें हिं। विवि हि मोहिं गिअम्तेहिं ॥ पन्दिणेहिं 'जय-अप' पमणा हिं। खुजय-धामणेहिं गबनहिं ।।८।। सीय स-लक्षणु षलु पइसारिउ । घीया-इन्दु व जयजयकारिड ||५|| सहि णिवसेणि गादरें रक्षणएँ ! सरसि-अपने पदिसम्णा ॥१०॥ यस्ता जल-णारायण गय दसउरु मुवि महाइप । सही मासहीं तं कुम्वर-णयह पराय ।।११।। [५] कुम्वर-णयह पराइय जाहि। फग्गुण-मासु पोलिट ता हिं॥१॥ पइड वसन्तु-राज माणन्दें। कोइलु-कलयल-मजरू-सरे ॥२॥ अलि-मिडणे हि वन्दिणेहि पढन्तेहिं । वरहिण-चावणेहि पश्चन्तेंहि ॥३॥ अन्दोला-सय-तोरण-वाहि। दुक्कु वसन्तु अणेय-पयारे हि ॥४॥ कत्थाइ खून-वणइ पल्लषियई। णव-किसलय-फल-फुलन्महियई ।।५।। करथइ गिरि-सिरह विच्छायई। खल-मुह िवमसि घण्णा णाय ।।६।। काय माहव-मासही मेहणि। पिय-विरहेण व ससद कामिणि ||७॥ कस्थइ गिजइ बजइ मन्दल। गर-मिडणेहि पणचिउ गोन्दलु | सं तहों णयरहों उत्सर-पासहि। जण-मणहरु जोयण-दस हिं॥९॥ दिड वसन्ततिला उजाणउ। साण-हियर जेम अ-पमाणड ||१०॥ घत्ता सुहलु सुबन्धउ शोलन्तु वियावढ-मस्थउ । अग्गएँ रामहाँ ण घिउ कुसुमजलि-हस्थत ॥१॥ [१] तहिं उवषणे पइसे वि विणु खेवें । पमणिउ बासुएनु वलएवें ॥१॥ 'मो असुरारि-बहरि-मुसुमूरण। उसरह-वैस-मणोरह-पूरण ॥रा
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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