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________________ पठमचरित धत्ता आण-वडिउछाउ ऍहु एवहिँ मिच्खु सुहारउ । रिसइ-जिणिन्दहाँ सेयंस पेसणयारउ' १ [३] पमणह यजयण्णु बहु-जाणउ । 'हउँ पाइक्कु पुणु वि ऍहुँ राणउ ।।३।। पवर एक्कु वा मइँ पाळेवउ । जिणु मेस्केचि अणु ण णमेवा' ॥२॥ तं णिसुणेविशु रूक्षण-रामें हि। सुरवर-मवण-विणिग्गय-मामेहि ॥३॥ दसउरपुर-उज्जेणि-पहाणा। अजयण्ण-सीहोपर-राणा ॥४॥ वेणि वि हत्थे हत्यु पर । संयमग पापिय ॥५॥ अशोभन्दिएँ महि भुक्षाविय। अण्णु वि जिणवर-धम्मु सुणाविय ॥६॥ कामिणि कामलेह कोकाधिय । विजुलअनहीं करयल लाविय ॥७॥ दिपणइ मणि-कुण्डल फुरन्त । चन्दाइस? तेउ हरन्त ॥६॥ ताम कुमारु वुत्तु विक्खाएँ हिं। वजयपा-सीहोयर-राएँ हि ॥९|| लाध-कुवलय-दल-दीहर-पयणहुँ । मयगल-गइ-गमणहुँ सरि-क्ष्यणहुँ।। १०॥ उश-णिलाडालविय-तिलय हुँ । बहु-सोहग्ग-भोग्ग-गुण-णिलयहुँ ॥११॥ विमम-माउन्मिपण सरीरहुँ । तणु-मज्न थण-हर-गम्भीरहुँ ।।३२॥ घन्ता अहिण-रूबहुँ लायण-वण-संपुषणहुँ । लइ भो लक्खण घर तिष्णि सय, तुहुँ कण्णहुँ ||१३|| [३] तं णिसुणेपिणु दसरह-गन्दणु । एम एजम्पिउ हसवि जणदणु ॥१॥ 'अच्छउति-यणु साम बिलवन्तउ । मिसिणि-णिहाउ व रवियर-छित्त॥२॥ मई जाएवउ दाहिण-देसहों। कोकण-मलय-पण्डि-उदेसहाँ ॥३॥ तहि वलहदाँ णिकउ गवेसमि। पच्छऍ पाणिग्रहण करेसमि' एम कुमार पजम्पिङ जंजे। मणे विसण्णु कपणायणु तं जे ।।५।। दड हिमेण व णलिणि-समुष्ठउ । मुह-मुह पाइँ दिग्णु मसि-कुछड ॥६॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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