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________________ १३५ संसूरिय तुरङ्ग धय- सारहि । तहि अक्सरे रहनेडर-सारहों । सूररगुण सोमु रणे खारिउ । पउमचरि -सेस थिय णवर महारहि ||५|| धाइउ मल्कबन्तु सहसा ||६|| उरण वरुणु हक्कारिउ ॥ ७ ॥ कलिं ॥4॥ घन्ता 'एत्ति कालु ण वुझिय उ रण्डे हि सुण्डेहि जिम्भिऍहि तुहुँ कबहुँ इन्दहुँ इन्दु कहें। किं जो सो रम्महि इदव हें ||५|| [] तं शिसुर्णेनि घोइड भरावउ | मालि- - पुरन्दर मिडिय परोप्पर । गुजाइँ सेस गरे हिं परिचतहूँ । इन्दयालु जिह सिंह जोइ आइ । भीम महाभीमें हि जा दिण्णी । साविकक वरण उदाइ चिन्तित वरण-पण जमव दुएं खुत्तु आस राङ्गणें । वह जिझरन्तु कुळ-पावर ॥१॥ विहि मि महाहउ बाउ मचकुरु ॥१२॥ थिय पढिथिराहें करेष्पिणुत ॥३॥ रक्खें - विज चिन्तिज्जइ ॥४॥ गोत्त-परम्पराएं अवइन्णी ॥५॥ परिवद्धिय गयणमण माध्य ॥ ६॥ हि । 'पत्तु इन्दु चरिए हिं अध्यण हिं ॥७॥ दुज्जड माफि होइ समरङ्ग ॥८॥ । घत्ता राहि परथावें पुरन्दरेंग माहिन्द-विज्ज हु संभरिय | यि तहें विचणिय रविकन्सिए ससि कन्ति व हरिय ॥१९॥ माहिन्द - विन अबलोऍषि | 'यण किउ महारज बुत । [ 4 ] भइ सुभाष महि-मुहु जोऍषि ॥१॥ एवहिं आयउ कालु तिड ॥ २५
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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