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________________ पउमचरिउ तं णिसुर्णेषि चविउ पमय- शिवहु । 'किं पुन्च-वहरु बोरिङ पहु ॥६॥ I जयहुँ जल काळ आयउ । निमचणमो ११० बरु तुहार संभरषि संर अहि कायूँ रण । संणिसुर्णेवि णमिउ णराहिवइ । टिविज्युसु करें धरेविं तहिं पाहिण करेंवि गुरु मत्ति किया । सम्बडि सुरवरु परिसियड । अज्जु विलक्खिन पायउ | दिट्टु महारिस चेह-हरें परम-जिनिन्दु समोसरणें विकिं चि रिज । पुणु पुष्टि महरसि धम्मु कहें। संणिसुविच चारु चरिव । सीक धम्मु सम्वतिहरु | परिभसें सिणि वि उद्यलिय । पण पछि परम- रिसि । परमेसर जम्पड़ जड़-पवरु । 'धम्मेण जाण अस्पाण-भय 1 महपत्रि कब्जे कइ घाइयउ ॥७॥ दुज ॥४॥ सो पनि थिउ बहु-भाएँ हिँ । जिम असिड जिम पद्ध मह पाएँहि ॥ ९॥ घत्ता [१३] अमरेण वि दरिलिय अमर गइ ||१|| विसर महरिसि चणाणि जहिं ॥ श वस्त्रेष्पिणु विष्णिभि पुरउ थिय ॥३॥ 'ऍडु जम्मु एण महु दरिसिया ||४|| महु क्रेर एउ सरीरहउ' ||५|| णं पवण- छिन्तु तरु थरहरि ॥६॥ परिभ्रम जेण पाउ णरय - पहुँ' ||७|| 'महु अन्य अणु परमायरि ||4|| पहस हुँ जि जिणालउ सन्तिहरु' ॥२॥ बाहुबलि - मरह-रिसह व मिडिय।। १०३॥ घत परवइ उ वहिकुमार-मुणिम्देहि । णं धरणिन्द सुरिन्द-परिन्दे हि ॥११॥ [ 18 ] 'रिसाव मारा धम्म- दिसि ॥१॥ सह-काल-बुद्धि चउ णाण-घरु ॥१॥ भ्रमेण मिश्र रह -तुरय-गय ||३||
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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