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________________ तिह इन्दाउहुँ तिष्ट इन्दमद। तिह रविपहु एम मुहासण। तिह मेरु समन्दरु परणगई 11 ॥ अवगयई भट्ट सोहासणहूँ ।।६।। छत्ता एवमड जामें अमरपतु वासुपुज-सेयंस जिणिन्दहुँ । मन्तरें बिहि मि परियउ छण-पुग्घण्छ जेम रवि-चन्द₹ ॥ ५॥ परिणतही लवाहिव-चुहिय । सहों पङ्गण केण वि का लिहिय ॥१॥ दीहर-लंगूलारच-मुह। कामु दिन्ति व शवन्ति व समुह ॥ सं पैखें वि साहामय-शिचहु। भइयएं मुच्छाविय राय-बहु ।।३।। एस्थन्तर कुविउ गहिवाइ । 'तं मारहु लिहिया बेण कई' 11।। पणवेप्पिणु मन्तिाह उपसमित। कह-णिवहु ण केण विभहकमिउ ।।५ एयहुँ नि पसाए राय-सिथ । तर पेसणधारी जेम तिय ॥१॥ एयहुँ जे पसाए रण अजय जगें वाणर-बसु पसिद्धि-ाउ ॥७॥ सिरिकपठहो लगों चिकइ-सयई। पवई में तुम्ह कुल-देषय ॥८॥ पत्ता तं णिसुणेविपरितुटऍण अइकमिय (?) णमिय मरिसाविय । हिम्मल-कुलहाँ कलङ्क जिहू मउ चिन् धए छत्ते लिहाविय ।।५।। [१०] ते याणर-वंसु पसिद्धिनाउ । चिणि वि सेनिउँ बसिरवि थिउ ॥३॥ उप्पण्णु कइउ तासु मुर। कइधग्रही वि पडिबलु पव-भुउ ॥२॥ परिषटहाँ वि णयणाणन्टु पुणु । पुणु सयाणन्तु घिसाल-गुणा ॥३॥ पुणु गिरिपन्दणु पुणु उहिस्। तहाँ परम-मिन्तु पढिपक्स-खा ॥४ सडिकसि-णामु लाहिवह। विनाहर-सामिड गयणगइ ॥५॥ एकहि दिणे उचवणु णीसरिउ । पुणु बुहम-वाचिई पइसरिउ ॥६॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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