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________________ पउमचारेट घत्ता विद्धी काम-सरेहि एकु वि पर ण पयः । शाह संयम्बर-माल दिवि णिवहाँ आवहा ॥॥ केण वि कहिउ गम्पि सहसक्खहीं। 'कोहलु किं एउ ण लक्खहों ॥३॥ एकु अणङ्ग-प्रमाणु जुत्राणउ । उ जागहुँ कि पिहिमिह गण ॥२॥ तं पक्खेंवि सस तुम्हहँ केरी। काम-गहेण हुभ विवरेरी' ॥३॥ तं णिसुणेवि राउ रोमचिउ। अम्मन्तरे आणन्दु पश्चिङ ॥३॥ 'मिसियहि मासि जं धुतर। ऍउ तं समरागमणु णिरुत्तउ' ॥५॥ मणे परिचिन्स नि पाफुल्लाणणु गउ तुरन्तु नहि दससयलोयणु ।।६।। से चउसटि-युरिसमक्खण-धरु । जाणेवि खबरु सयल-चकेसरु ||७|| सिर करयल करेवि जोकारित। दिण्ण कपण पुणु पुरै पइसारित ॥७॥ पत्ता लीकएँ भवणु पहा विजाहर-परिवेषिउ । तुसे घि दिण्णा तेण उसर-दाहिण-सेविज ॥९॥ तिलकेस कएप्पिणु गउ सपह। पइसरिट अउम्झाउरि-णयह ।।१। सहसक्नु विजणण-वहरु सरैवि । विजाहर-साहणु मेलवेंवि ॥२॥ गड उपरि तासु पुण्णधणहों। जें जीविउ हरिद सुलोचणहो ॥३॥ रहणेडरचकवाल-जयरें। विणिवाइउ पुपणमेहु समरें ॥४॥ जो तोयदवाहणु तासु सुउ । सो रणमुहें का वि कह वि ण मुड ॥५ गउ हंस-विमाणे दृष्ट्व-मणु । जहि अजिय-जिणिन्द-सभोसरणु पर मम्मीस दिषण अमरेसरण । स-बइर-वितन्तु कहिङ णरेंण ॥७॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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