SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८० विह-देव-शिकाएं जिणु पम्बइ तुरन्तु पउमचरिउ घरता आएं कलि-मक- रहिच । महिं सहासहि सहित || ९ || [ ३ ] fie ugland goRETI रिसg जेम पारणउ कपि । सुक्क आशु आकरिउ निम्मलु । अट्ट त्रि पाडिहेर समसरणउ | गगहर व लक्खु वर-माहुहुँ । त ि काले जियसन्तु सहायक । जयसायरों पुसु सुमहरु | भरहु जेम सहुँ वहिँ णिहाणहि NER घुरुद्वार ॥१॥ चउदह संगच्छर विहरेपणु ॥ २ ॥ पुणु उप्पण्णु णाशु सहों केवलु ॥३॥ जिह रिसइद्दों सिंह देवारामण ॥४॥ कम्मह-मल-सुिम्मण-ब हुहुँ ॥ ५ || तियस अयहाँ पुत्तु जयसाग्रह ||६ ॥ णाम सय सयल-चक्केसरु ॥७॥ स्वर्णेहि चउदह - विहहिं महानहिं ॥८॥ घत्ता सयक - पिडिमि- परिपालु जीउ व कम्म वरुण बुट्टुतुरमुख छायाँ पसइ सुष्णारण्णु महावइ । दुक्खु दुक्खु हरि दभिउ परिन्दे । ताम महा-सरु दीसह स-कमल । हि कथ मण्डयें उप्पलानि । सुमेल ताड़ों जायें हि । धाय सुलोयणा बलवन्तीं । किर सहुँ सहियहि दुहू सरवह। एक्क-दिवसें चटुल पिड अवइवि तुर ॥ ५ ॥ [ * ] गडपणार्सेवि परिछम - भायहीं ॥१॥ जहिं कफि काक हों हियत्र पढ ॥ २ ॥ णं मबरहूड परम जिजिन्हें ॥ ३ ॥ चल -: ह-वीई तरफ़ मनुर जलु || सलिलु पियतुरङ्ग पहाणं यि ॥ ५॥ शिकयस सम्पाइय ताहि ॥ ६ ॥ वहिणि सहायरि दसग्रणेतहीं ॥७॥ दीसह ताम सवय पिहिमीसरु ॥ ८ ॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy