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विह-देव-शिकाएं जिणु पम्बइ तुरन्तु
पउमचरिउ
घरता
आएं कलि-मक- रहिच । महिं सहासहि सहित || ९ ||
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fie ugland goRETI रिसg जेम पारणउ कपि । सुक्क आशु आकरिउ निम्मलु । अट्ट त्रि पाडिहेर समसरणउ | गगहर व लक्खु वर-माहुहुँ । त ि काले जियसन्तु सहायक । जयसायरों पुसु सुमहरु | भरहु जेम सहुँ वहिँ णिहाणहि
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घुरुद्वार ॥१॥ चउदह संगच्छर विहरेपणु ॥ २ ॥ पुणु उप्पण्णु णाशु सहों केवलु ॥३॥ जिह रिसइद्दों सिंह देवारामण ॥४॥ कम्मह-मल-सुिम्मण-ब हुहुँ ॥ ५ || तियस अयहाँ पुत्तु जयसाग्रह ||६ ॥ णाम सय सयल-चक्केसरु ॥७॥ स्वर्णेहि चउदह - विहहिं महानहिं ॥८॥
घत्ता
सयक - पिडिमि- परिपालु जीउ व कम्म वरुण
बुट्टुतुरमुख
छायाँ
पसइ सुष्णारण्णु महावइ । दुक्खु दुक्खु हरि दभिउ परिन्दे । ताम महा-सरु दीसह स-कमल । हि कथ मण्डयें उप्पलानि । सुमेल ताड़ों जायें हि । धाय सुलोयणा बलवन्तीं । किर सहुँ सहियहि दुहू सरवह।
एक्क-दिवसें चटुल पिड अवइवि तुर ॥ ५ ॥
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गडपणार्सेवि परिछम - भायहीं ॥१॥ जहिं कफि काक हों हियत्र पढ ॥ २ ॥ णं मबरहूड परम जिजिन्हें ॥ ३ ॥ चल -: ह-वीई तरफ़ मनुर जलु || सलिलु पियतुरङ्ग पहाणं यि ॥ ५॥ शिकयस सम्पाइय ताहि ॥ ६ ॥ वहिणि सहायरि दसग्रणेतहीं ॥७॥ दीसह ताम सवय पिहिमीसरु ॥ ८ ॥